Friday, May 10"खबर जो असर करे"

Tag: Draupadi Murmu

द्रौपदी मुर्मू के हिन्दी में शपथ लेने का संदेश तो समझिए

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- आर.के. सिन्हा भारत के 15 वें राष्ट्रपति पद की शपथ हिन्दी में लेकर द्रौपदी मूर्मू ने सारे देश को एक बेहद महत्वपूर्ण संदेश दिया है। मूल रूप से ओडिशा से संबंध रखने वाली द्रौपदी मूर्मू अगर उड़िया या किसी अन्य भाषा में भी शपथ लेती तो कोई अंतर नहीं पड़ता। देश को अपनी सभी भाषाओं और बोलियों पर गर्व है। वो हिन्दी में शपथ लेकर अचानक से सारे देश में पहुंच गईं। समूचे देश ने उन्हें हिंदी में शपथ लेते हुए देखा-सुना। बेशक, हिन्दी देश की सबसे अधिक बोली और समझी जाने वाली भाषा है। इस संबंध में कोई विवाद नहीं हो सकता। हिन्दी की सारे देश में स्वीकार्यता है और यह दिन-प्रतिदिन बढ़ भी रही है। अगर छुद्र राजनीति को छोड़ दिया जाए तो इसे सारे देश में बोली और समझी जाती है। कुछ समय पहले ही देश के आठ पूर्वोतर राज्यों के स्कूलों में दसवीं कक्षा तक हिन्दी को अनिवार्य रूप से पढ़ाने पर वहां की राज्य सरकारें राजी हो चुक...

आदिवासी भारत और कनाडा के

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत में आदिवासियों को कितना महत्व दिया जाता है, इसे आप इसी तथ्य से समझ सकते हैं कि इस समय भारत की राष्ट्रपति आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू हैं। देश के तीन राज्यपाल भी आदिवासी हैं। छत्तीसगढ़ की राज्यपाल अनुसुइया उइके मूलतः मध्य प्रदेश की हैं। आदिवासियों के लिए कई पहल की हैं। भारत में कई आदिवासी मुख्यमंत्री और मंत्री हैं और पहले भी रहे हैं। संसद में भी भारत के लगभग 50 सदस्य आदिवासी ही होते हैं। कई विश्वविद्यालयों के उपकुलपति और प्रोफेसर भी आदिवासी हैं। भारत के कई डाक्टर और वकील भी आपको आदिवासी मिल जाएंगे। सरकारी नौकरियों और संसद में उन्हें आरक्षण की भी सुविधा है लेकिन आप जरा जानें कि अमेरिका और कनाडा के आदिवासियों का क्या हाल है। मैं अपनी युवा अवस्था से इन देशों में पढ़ता और पढ़ाता रहा हूं। मुझे इनके कई आदिवासी इलाकों में जाने का मौका मिला है। यह संयोग है कि मेरे साथी छा...

340 कमरे वाले राष्ट्रपति भवन के गेस्ट हाउस में रहेगा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का आवास, जानिए क्‍या है इसकी वजह

देश
नई दिल्‍ली । द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) देश की पहली ऐसी राष्ट्रपति (President) हैं, जिन्होंने आजाद भारत (India) में जन्म लिया। उनसे पहले जितने भी राष्ट्रपति रहे, उनका जन्म देश की आजादी से पहले हुआ था। 64 साल की उम्र में राष्ट्रपति पद पर बैठने वाली मुर्मू सबसे कम उम्र की प्रेसिडेंट हैं। संथाल आदिवासी समाज (Santhal Tribal Society) में पैदा हुईं बेहद गरीब परिवार में पलने वाली द्रौपदी मुर्मू अब मैडम President कहलाएंगी। एक महिला के लिए सफलता के शिखर तक पहुंचने का संघर्ष बहुत मुश्किल होता है. उसे जीवन में हर स्तर पर लड़ना पड़ता है. उसे सामाजिक परंपराओं के बंधन तोड़ने होते हैं, उसे समाज की महिला विरोधी सोच से लड़ना होता है. उसे परिवार की उन बेड़ियों को तोड़ना होता है, जो बचपन से ही उसकी उड़ान रोकने के लिए बांधी जाती हैं. और इस सबके बावजूद अगर कोई महिला उच्च पद पर पहुंचती है तो कई बार पूरी व...

द्रौपदी मुर्मू ने देश के 15वें राष्ट्रपति के रूप में ली शपथ

देश
नई दिल्ली । द्रौपदी मुर्मू ने सोमवार को संसद भवन के केंद्रीय सभागार में देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद की शपथ ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना उन्हें 15वें राष्ट्रपति पद की शपथ दिलाई। राष्ट्रपति मुर्मू ने हिन्दी में शपथ लेने के बाद पुस्तिका में हस्ताक्षर किए। इसके साथ ही वह देश की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति बन गईं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शपथ लेने के बाद पहली बार संसद को संबोधित करते हुए कि राष्ट्रपति के रूप में उनका चुनाव करोड़ों भारतीयों के विश्वास का प्रतिबिंब है। ये हमारे लोकतंत्र की ही शक्ति है कि उसमें एक गरीब घर में पैदा हुई बेटी, दूर-सुदूर आदिवासी क्षेत्र में पैदा हुई बेटी, भारत के सर्वोच्च संवैधानिक पद तक पहुंच सकती है। राष्ट्रपति के पद तक पहुंचना, मेरी व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, ये भारत के प्रत्येक गरीब की उपलब्धि है। मेरा निर्वाचन इस बात का सबूत है कि भारत में गरीब स...

द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से साकार हुआ बिरसा मुंडा का सपना

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- आर.के. सिन्हा आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू देश की 15 वीं राष्ट्रपति निर्वाचित हो गईं हैं। अब उन्हें सोमवार (25 जुलाई) को पद और गोपनीयता की शपथ राष्ट्रपति भवन के दरबार हॉल में दिलवाई जाएगी। वह जब भारत के प्रथम नागरिक के रूप में शपथ ग्रहण करेंगी तब देश के लगभग 10 करोड़ आदिवासी निश्चित रूप से दिल से गौरवान्वित महसूस करेंगे। भारत की साल 2011 की जनगणना के मुताबिक देश की कुल जनसंख्या का साढ़े आठ फीसदी हिस्सा आदिवासियों का है। जरा गौर करें क 2011 की जनगणना में हिन्दू देश की कुल आबादी में 96.93 करोड़ के साथ लगभग 80 फीसद थे। उनके बाद मुसलमान 17.22 करोड़ की आबादी के साथ दूसरे स्थान पर थे। उनकी आबादी 14.2 फीसद थी। ईसाई जनसंख्या 2.78 करोड़ के साथ तीसरे स्थान पर थी। सिखों की आबादी 2.08 करोड़ के साथ चौथे स्थान थी। इससे समझा जा सकता है कि आदिवासियों को उनका सामान्य सा हक देने में भी कितना विलंब क...

द्रौपदी मुर्मू : समाज के अंतिम छोर की प्रतिभा

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- सुरेश हिन्दुस्थानी राष्ट्रपति के चुनाव की मतगणना के पश्चात देश ने नए राष्ट्रपति के रूप में जनजातीय समाज की प्रतिभा द्रौपदी मुर्मू को चुन लिया गया है। राष्ट्रपति के रूप में उनका चयन निश्चित ही एक ऐसा संदेश प्रवाहित कर रहा है, जिसमें एक उम्मीद है, एक विश्वास है। जो उस समाज में आगे बढ़ने का हौसला प्रदान कर रहा है, जिसको अभी तक वंचित माना जाता रहा है। भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनवाकर स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव को सार्थकता प्रदान की है। यहां उल्लेखनीय तथ्य यह है कि द्रौपदी मुर्मू उस वर्ग का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो एकात्म मानव दर्शन के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय के चिंतन से निकले शब्दों में समाज का अंतिम छोर है। केंद्र की मोदी सरकार ने आज पंडित दीनदयाल जी के सपने को साकार करने की अभिनव पहल की है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी कहते थे कि जिस दिन सम...

विपक्ष की हालत खस्ता

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू के चुनाव ने सिद्ध कर दिया है कि भारत के विरोधी दल भाजपा को टक्कर देने में आज भी असमर्थ हैं और 2024 के चुनाव में भी भाजपा के सामने वे बौने सिद्ध होंगे। अब उपराष्ट्रपति के चुनाव में तृणमूल कांग्रेस ने विपक्ष की उम्मीदवार मार्गरेट अल्वा के समर्थन से इनकार कर दिया है। यानी विपक्ष की उम्मीदवार उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी बुरी तरह से हारेंगी। अल्वा कांग्रेस की हैं। तृणमूल कांग्रेस को कांग्रेस से बहुत आपत्ति है, हालांकि उसकी नेता ममता बनर्जी खुद कांग्रेस में रही हैं और अपनी पार्टी के नाम में उन्होंने कांग्रेस का नाम भी जोड़ रखा है। ममता ने राष्ट्रपति के चुनाव में यशवंत सिन्हा का भी डटकर समर्थन नहीं किया, हालांकि सिन्हा उन्हीं की पार्टी के सदस्य हैं। अब पता चला है कि ममता बनर्जी, द्रौपदी मुर्मू की टक्कर में ओडिशा के ही एक आदिवासी नेता त...
द्रौपदी मुर्मू से पहले भी देश को मिल सकता था आदिवासी राष्ट्रपति, जानिए वो किस्सा

द्रौपदी मुर्मू से पहले भी देश को मिल सकता था आदिवासी राष्ट्रपति, जानिए वो किस्सा

देश
नई दिल्ली । द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) देश की 15वीं राष्ट्रपति (15th President) बन गई हैं. उनका राष्ट्रपति बनना अपने आप में ऐतिहासिक है, वे पहली आदिवासी समुदाय (tribal community) से आईं महिला राष्ट्रपति हैं. जिस बड़े अंतर से उन्होंने ये जीत दर्ज की है, इससे ये मुकाम और ज्यादा खास बन जाता है. लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि द्रौपदी मुर्मू के राष्ट्रपति बनने से 10 साल पहले भी भारत (India) के पास एक मौका आया था. वो मौका था एक आदिवासी राष्ट्रपति चुनने का. ये बात 2012 राष्ट्रपति चुनाव की है. केंद्र में यूपीए की सरकार थी और प्रधानमंत्री थे डॉक्टर मनमोहन सिंह. उस समय कांग्रेस ने राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में प्रणब मुखर्जी को उतारा था. पार्टी को पूरी उम्मीद थी कि विपक्ष कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगा और प्रणब बिना किसी अड़चन के रायसेना तक पहुंच जाएंगे. लेकिन उस समय जैसा देश की राजनीति का म...
मोदी का मास्टर स्ट्रोक ‘मुर्मू’

मोदी का मास्टर स्ट्रोक ‘मुर्मू’

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- आर.के. सिन्हा द्रौपदी मुर्मू वास्तव में मोदी जी का मास्टर स्ट्रोक है। मतदान के समय जिस तरह विपक्षी दलों में फूट पड़ी और क्रॉस वोटिंग हुई, उससे साबित हो गया कि मोदी जी का आदिवासी और महिला कार्ड चल गया। द्रौपदी मुर्मू का देश का अगला राष्ट्रपति निर्वाचित होना निश्चित है। वो आगामी 25 जुलाई को देश के नए राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगी। उनसे सारा देश यह अपेक्षा करेगा कि वो अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपतियों डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, डॉ. प्रणब कुमार मुखर्जी और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जैसे महानुभावों की तरह ही गरिमामयी व्यवहार का परिचय देंगी। वो देश के प्रथम नागरिक के रूप में एक नई नजीर स्थापित करेंगी। भारत का यह सौभाग्य ही रहा कि उसे गोरी सरकार से मुक्ति मिलने के बाद डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और उनके बाद डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जैसे ज्ञानी, प्रकांड विद्वान और धीर गंभीर राष्ट्रपति मिले। वे संविधान की मर्यादाओं में ...