Saturday, April 27"खबर जो असर करे"

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था और रोजगार में वृद्धि, गरीबी में कमी

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में अर्थव्यवस्था और रोजगार में वृद्धि, गरीबी में कमी

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- पंकज जगन्नाथ जयस्वाल वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के व्यापक परिदृश्य में भारत अपने तेज़ विकास और नई ऊंचाइयों को छूने के निरंतर संकल्प के लिए कार्यरत है। भारतीय संस्कृति की एक लंबी परंपरा है और 1.4 बिलियन से अधिक की आबादी के साथ, भारत एक आर्थिक महाशक्ति के रूप में विकसित हो रहा है, जो लगातार दुनिया भर में अपने कौशल का प्रदर्शन कर रहा है। भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण है। इसमें एक विशाल, युवा आबादी के साथ-साथ एक खुली, लोकतांत्रिक राजनीतिक प्रणाली भी है। यह वर्तमान में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था (पीपीपी) है और वैश्विक आर्थिक विकास में एक प्रमुख योगदानकर्ता है, फिर भी अभी महत्वपूर्ण अप्रयुक्त क्षमता है। दुनिया की आबादी के छठे हिस्से से अधिक के साथ भारत वैश्विक उत्पादन का बमुश्किल 7 फीसदी हिस्सा है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की उपलब्धियों का उसके वैश्...
कांग्रेस के घोषणापत्र पर आक्रामक भाजपा

कांग्रेस के घोषणापत्र पर आक्रामक भाजपा

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- मृत्युंजय दीक्षित लोकसभा चुनाव के दो चरणों का मतदान संपन्न हो चुका है। तीसरे चरण के लिए प्रचार अभियान जारी है। भाजपा रामलहर और मोदी के करिश्माई नेतृत्व के बल पर अबकी बार चार सौ पार के नारे के साथ आगे बढ़ रही है। भाजपा नेतृत्व अभी तक विपक्ष को परिवारवाद व उनके शासनकाल में किए गये अथाह भ्रष्टाचार और घोटालों की बात करके घेर रहा था। उसके मुस्लिम तुष्टिकरण पर सीधा प्रहार नहीं कर रहा था किन्तु कांग्रेस के चुनावी घोषणापत्र, राहुल गांधी व विपक्ष के नेताओं के कुछ आपत्तिजनक बयानों के बाद नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पूरी भाजपा अब कांग्रेस तथा विरोधी दलों के घोर मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर आक्रामक हो गयी है। मोदी ने कांग्रेस के समय में प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह के भाषण और कांग्रेस के घोषणापत्र में किए गए वादों पर चर्चा करते हुए स्वयं कांग्रेस के घोषणापत्र पर मोर्चा खोला। भारतीय जनता पार्टी के...
आओ मतदान करें

आओ मतदान करें

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा 18 वीं लोकसभा के लिए पहले चरण का 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों के लिए मतदान संपन्न हो चुका है। दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को देश के 13 राज्यों की 89 लोकसभा सीटों के लिए होने जा रहा है। पहले चरण का मतदान 2019 की तुलना में कम हुआ है। यह अपने आप में चिंतनीय हो जाता है। मतदान कम होने के कारणों का विश्लेषण करने का ना तो यह सही समय है और ना ही यह विश्लेषण का समय है कि मतदान कम होने से किसे लाभ होगा या किसे हानि होगी। लाभ-हानि का आकलन करना राजनीतिक दलों का विषय हो सकता है। पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों द्वारा मताधिकार का उपयोग नहीं करना अपने आप में गंभीर हो जाता है। एक ओर हम निर्वाचित सरकार से अपेक्षाएं रखते हैं और रखनी भी चाहिए, वहीं हम अपनी सरकार चुनने के लिए घर से मतदान करने के लिए भी निकलना अपनी तौहीन समझने लगते हैं। आखिर इतने गैर जिम्मेदार न...
जाति के इर्द-गिर्द घूमती भारतीय राजनीति

जाति के इर्द-गिर्द घूमती भारतीय राजनीति

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- अरुण कुमार दीक्षित भारतीय राजनीति में जाति की बड़ी अहमियत है। हालांकि अधिकांश महापुरुष जाति विहीन भारत के निर्माण के पक्ष में थे। वे जातिवाद को बेहद खतरनाक मानते थे और कई मौकों पर यह बात उन्होंने कही भी। जाति तोड़ो अभियानों में वे निरंतर जुटे रहे लेकिन जाति की जड़ों को हिला नहीं पाए। इसकी वजह यह रही कि उस समय जातियों का उभार तत्कालीन राजनीति कर रही थी। धीरे-धीरे यह जातीय उभार राजनीतिक गुटों, गिरोहों और वर्गों की शक्ल लेता गया और गांधी, लोहिया तथा अंबेडकर के सपने धराशायी हो गए। आज भारत की राजनीति में जाति सम्मेलनों की बहुलता बढ़ी है। वर्गों का आधिपत्य बढ़ा है । सभी जातियों-वर्गों के अपने नेता हैं । वह जातीय सम्मेलन करते हैं। सत्तारूढ़ दलों के नेता भी अपने स्तर पर जातीय उभार को मजबूती देते हैं। राजनीति दलों के बॉयलॉज की बात करें तो उसमें एक बात समान होती है कि राजनीतिक दल सर्व समाज के लिए ...
दुनिया को समझना होगा ‘माता भूमि, पुत्रोह्म पृथिव्या:’ का निहितार्थ

दुनिया को समझना होगा ‘माता भूमि, पुत्रोह्म पृथिव्या:’ का निहितार्थ

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- कुल भूषण उपमन्यु आज प्लास्टिक, मिट्टी, पानी, और वायु का प्रदूषक बनता जा रहा है। जमीन पर पड़े हुए प्लास्टिक से धूप के कारण अपर्दन से टूटकर सूक्ष्म कण मिट्टी में मिल जाते हैं और मिट्टी के उपजाऊपन को नष्ट करने का काम करते हैं। पानी में मिल कर मछलियों के शरीर में पहुंच कर खाद्य शृंखला का भाग बन कर मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बन जाते हैं। जलाए जाने पर वायु में अनेक विषैली गैसें वायु मंडल में छोड़ते हैं जिससे वैश्विक तापमान वृद्धि के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे पैदा हो रहे हैं। प्लास्टिक दैनिक जीवन का ऐसा भाग बन गया है कि इससे बचना बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। प्लास्टिक का प्रयोग कम करना, पुनर्चक्रीकरण, और जो बच जाए उसको उत्तम धुआं रहित प्रज्वलन तकनीक से ताप विद्युत बनाने में प्रयोग किया जा सकता है। हालांकि इससे भी थोड़ा गैस उत्सर्जन तो होता है किन्तु जिस तरह शहरी कचरा डंपिंग...
सड़कों पर कैसे थमे अराजकता

सड़कों पर कैसे थमे अराजकता

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- आर.के. सिन्हा यकीन मानिए कि किसी देश और वहां के लोगों को जानने के लिए आपको कोई बहुत घुमक्कड़ी करने की जरूरत नहीं है। आप जिस देश के समाज को जानना चाहते हैं, उसके एयरपोर्ट से उतरने के बाद वहां की सड़कों में चल रहे यातायात को देख भर लें। आपको सब कुछ पता चल जाएगा कि वहां का समाज कितना अनुशासन प्रिय है या अराजकता में कितना यकीन करता है। राजधानी दिल्ली की सड़कों से गुजरते हुए यहां पहली बार आने वाले शख्स को इतना तो पता ही चल जाता होगा कि इधर की सड़कों पर यातायात नियमों को मानना भी लोग अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। बेशक, राजधानी दिल्ली की सड़कों का नजारा देखकर डर लगता है। दो पहिया चलाने वाले न जाने कितने ड्राइवर दिखाई देते हैं, जिन्होंने हेलमेट नहीं पहना होता है। बात यहीं खत्म नहीं होती। वे बेखौफ ड्राइवर भी भरपूर मात्रा में मिल जाते हैं जो अपनी मोटरसाइकिल या स्कूटी चलाते हुए लगातार मोबाइल प...
परिणाम तय है इसलिए मतदाता उदासीन

परिणाम तय है इसलिए मतदाता उदासीन

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- सुरेन्द्र चतुर्वेदी अठारहवीं लोकसभा के पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को मतदान हो गया। सभी 102 सीटों में से ज्यादातर में मतदान के प्रतिशत में कमी आई है। इससे यह माना जा रहा है कि मतदाताओं में चुनाव के प्रति वह उत्साह और उमंग नहीं था, जिसकी उम्मीद राजनीतिक दल विशेष रूप से भाजपा लगाए बैठी थी । तो क्या भाजपा को इससे निराश होने की जरूरत है ? या कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों को इसमें से किसी अप्रत्याशित परिणाम की उम्मीद रखनी चाहिए ? दोनों ही प्रश्नों का एक ही जवाब है, नहीं। यह सही है कि भारतीय जनता पार्टी को मोदी सरकार के कामकाज पर मतदाताओं की ओर से जोरदार समर्थन की उम्मीद थी और विपक्षी दलों को लगता था कि जनता महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर सड़क पर आ जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका एक ही मतलब है कि मतदाता ने परिवर्तन करने से ही इनकार कर दिया। हां, अब बहस सिर्फ इस बात पर हो सकती है कि भाजप...
नक्सल विरोधी कार्रवाई पर हमदर्दी भरा दृष्टिकोण क्यों?

नक्सल विरोधी कार्रवाई पर हमदर्दी भरा दृष्टिकोण क्यों?

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- डॉ. रमेश ठाकुर छत्तीसगढ़ के कांकेर में पिछले सप्ताह केंद्रीय सुरक्षाकर्मियों ने एक ऑपरेशन के तहत बड़ी संख्या में नक्सलियों को मार गिराया। सूचनाएं थी कि नक्सली चुनाव में गड़बड़ी करने वाले थे। उनका निशाना पोलिंग बूथ थे। उनके पास से बड़ी मात्रा में हथियार और गोला बारूद बरामद हुआ। नक्सलियों पर इस कार्रवाई को लेकर एक दफा फिर कांग्रेस ने प्रमाणिकता पर सवाल उठाए हैं। वाजिब सवाल ये है कि आखिर चुनाव के बीच नक्सल और सुरक्षाबलों के बीच चले इस संघर्ष को राजनीतिक रंग देने में किसका भला होगा? भूपेश बघेल तो मुठभेड़ को फर्जी भी बता रहे हैं। वहीं, कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी बिना सोचे समझे नक्सलियों से हमदर्दी जताई। हालांकि, विरोध होने पर अब दोनों अपने बयानों को लेकर लीपापोती करने में लगे हैं। कुछ विपक्षी नेताओं ने इससे पूर्व भी नक्सलियों को शहीद बताकर उनके प्रति हमदर्दी जताई थी। यह तो जगजाहि...
मतदान में गिरावट लोकतंत्र के लिए अशुभ

मतदान में गिरावट लोकतंत्र के लिए अशुभ

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- योगेश कुमार सोनी चुनाव के महासंग्राम लोकसभा 2024 का आगाज हो चुका है। पहले चरण की वोटिंग भी हो चुकी है जिसमें पहले की अपेक्षा कम वोटिंग हुई है। पहले चरण के तहत 19 अप्रैल को 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 सीटों पर वोटिंग हुई। सभी सीटों पर 62.37 फीसदी मतदान हुआ। सबसे ज्यादा वोटिंग त्रिपुरा में 80.17 फीसदी हुई। इसके बाद पश्चिम बंगाल में 77.57 प्रतिशत, मेघालय में 74.21 प्रतिशत, पुडुचेरी में 73.50 प्रतिशत और असम में 72.10 प्रतिशत मतदान हुआ। अगर 2019 में हुए मतदान के पहले चरण से तुलना की जाए तो इस बार पहले फेज में कम वोटिंग हुई है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की चर्चा करें तो आठ सीटों पर लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 60.59 प्रतिशत मतदान हुआ। सबसे ज्यादा 66.65 प्रतिशत मतदान सहारनपुर में हुआ जबकि रामपुर 55.75 प्रतिशत मतदान के साथ सबसे कम वोटिंग हुई। वर्ष 2019 के मुकाबले पहले...