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राजनीति के सांस्कृतिक बदलाव की धुरी बनी भाजपा

राजनीति के सांस्कृतिक बदलाव की धुरी बनी भाजपा

अवर्गीकृत
- विष्णु दत्त शर्मा 1980 के दशक का कालखंड भारतीय राजनीति का टर्निंग प्वाइंट था, जब जनसंघ के बाद भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। स्वाधीनता मिले अभी तीन दशक ही हुए थे कि देश भ्रष्टाचार, परिवारवाद, अपराधीकरण, जातिवाद, तुष्टिकरण, आतंकवाद और आपातकाल जैसे घावों से छलनी होने लगा था। किसे पता था कि आजादी के बाद जिन्होंने राजनीति का उत्तराधिकार पाया, वे अपनी स्वार्थलिप्सा में इतने कम समय में देश को बर्बादी के कगार पर पहुंचा देंगे।वे सत्ता में बने रहने के लिए तुष्टिकरण का ऐसा भ्रमजाल फैलाएंगे कि राष्ट्रीय अस्मिता भी धूमिल हो जाएऔर राष्ट्र की सच्ची पहचान उनके क्षुद्र राजनीतिकनारों से नष्ट हो जाएगी। परन्तु तत्कालीन राष्ट्रवादी समूहों को इसका भान हो गया था और वे भारतीय राजनीति को सही दिशा देने व एक सम्यक विकल्प देने के लिए आगे आए,तब भाजपा की स्थापना हुई। थोड़ा गहराई में विचार करने से पता चलता है क...