Monday, May 20"खबर जो असर करे"

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चुनाव में सिर्फ हिन्दू जातियों पर चर्चा करने वाले कौन?

चुनाव में सिर्फ हिन्दू जातियों पर चर्चा करने वाले कौन?

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- आर.के. सिन्हा हर बार की तरह इस लोकसभा चुनाव में भी अपने को राजनीति का विद्वान बताने वाले ज्ञानियों ने किस संसदीय क्षेत्र में किसके हक में बयार बह रही है, इस विषय पर लिखना-बताना शुरू कर दिया है। वे अपना विश्लेषण रखते हुए बताते हैं कि वहां ( उस संसदीय क्षेत्र में ) इतने फीसद क्षत्रिय, ब्राह्मण, दलित, पिछड़े, अति पिछड़े, यादव वगैरह हैं। यहां तक तो सब ठीक है। पर जातियों का गणित बताने वाले मुसलमानों, सिखों, ईसाइयों की जातियों पर मौन ही रहते हैं। उन्हें जातियों के कोढ़ के बारे में सिर्फ हिन्दुओं की ही चर्चा करनी होती है। उन्हें लगता है कि मानों जातियां सिर्फ हिन्दू धर्म में ही हैं। जैसे कि बाकी धर्मावलंबी किसी जात-पात में यकीन नहीं करते। इससे एक बात बहुत साफ हो जानी चाहिए हमारे यह कथित विद्वान देश की जमीनी हकीकत से कितने नावाकिफ हैं। उन्हें यह मालूम ही नहीं है कि जाति भारत का सच है। कोई इंस...
फाइव आइज का मोदी और भाजपा को लेकर अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र

फाइव आइज का मोदी और भाजपा को लेकर अंतरराष्ट्रीय षड्यंत्र

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- डॉ. मयंक चतुर्वेदी हम सभी जानते हैं, भारत में इस वक्त लोकसभा चुनाव का दौर चल रहा है। तीसरे चरण के बाद अब चौथे चरण की वोटिंग की तैयारी है। पूरी दुनिया की नजर भारत पर है, जिसमें कि भारत विरोधी यही चाहते हैं कि भाजपा की सत्ता केंद्र में न आए, मोदी फिर से भारत के प्रधानमंत्री न बनें । भारत पहले की तरह ही कई मोर्चों पर संघर्ष करता हुआ कमजोर दिखाई दे। अब इसके लिए भाजपा एवं मोदी से विरोध करनेवाली शक्तियां तो देश के अंदर काम कर ही रही हैं, किंतु इन दिनों ऐसी शक्तियों को विदेशों में भी पुख्ता माहौल बनाते हुए देखा जा सकता है। वस्तुत: पाकिस्तान, चीन, समेत कई देश जो भारत को सहन नहीं कर पा रहे हैं, वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का विरोध करते ही थे, लेकिन अब यूरोप समेत विशेष तौर पर इंग्लैण्ड और अमेरिका जैसे विकसित देशों ने भी लगातार केंद्र की मोदी सरकार को घेरना जारी रखा है, जिसमें कि उसके सामने...
‘राहुल गांधी, आसान नहीं रायबरेली की डगर…!’

‘राहुल गांधी, आसान नहीं रायबरेली की डगर…!’

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- सुरेश हिंदुस्तानी कांग्रेस नेता राहुल गांधी उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव न लड़ पाने की हिम्मत के बाद आखिर परम्परागत रायबरेली से नामांकन दाखिल कर दिया। यह बात सही है कि राहुल गांधी के अमेठी छोड़ने के बाद कांग्रेस राजनीति में कोई ठोस सन्देश देने में सफल नहीं हो रही थी, जिसके कारण कांग्रेस के कई नेता अमेठी के बारे में बोलने से किनारा करने लगे थे। अब राहुल गांधी अपने दादा फिरोज खान, दादी इंदिरा गांधी और मां सोनिया गांधी की विरासत को बचाने के लिए मैदान में आ गए हैं। यहां सवाल यह नहीं हैं कि राहुल गांधी और उनकी कांग्रेस ने रायबरेली को क्यों चुना, बल्कि सवाल यह है कि राहुल गांधी ने अमेठी को क्यों छोड़ा। क्या वास्तव में राहुल गांधी को फिर से अपनी पराजय का डर लगने लगा था? अगर यह सही है तो फिर ऐसा क्यों है कि राहुल गांधी हर बार अपने लिए सुरक्षित स्थान की तलाश क्यों करते हैं। उल्लेख...
जनता-जनार्दन की जय!

जनता-जनार्दन की जय!

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- गिरीश्वर मिश्र इस बार देश में चल रहा चुनावी महाभारत कुछ ज्यादा ही लम्बा खिंच रहा है और कई महारथी पशोपेश में पड़ते दिख रहे हैं। सेनापतियों पर शामत आ रही है कि वे अपनी-अपनी सेना को कैसे संभालें? तेज गर्मी और लू के मौसम में महीने भर से कुछ ज्यादा चलने वाले गणतंत्र के इस लोक-उत्सव में राजनीतिक पार्टियों को बीच-बीच में सांस लेने का अवसर मिल पा रहा है यह कुछ राहत की बात है। पर ‘स्टैमिना’ बनाए रखने के लिए जरूरी राजनीतिक दांवपेंच कम पड़ रहे हैं और कई दलों की तैयारी कुछ ढीली पड़ती नजर आ रही है । बेहद बुजुर्ग हो रहे नेताओं को कमान संभालने में थकान भी जाहिर है पर अगली (या दूसरी) कतार के नेता ज्यादातर बयानबाजी में मशगूल हैं । चूंकि बहुत से नेता ऊपर से थोपे हुए हैं उनकी जन-रुचि बेहद सतही होती है और उनके खोखले हो रहे जन-लगाव की पोल जल्दी ही खुलती जाती है। ऐसे में नेतागण पर थोड़ी देर के लिए ही सह...
हेल्थ सिस्टम में नर्सिंग पेशे का योगदान अतुलनीय

हेल्थ सिस्टम में नर्सिंग पेशे का योगदान अतुलनीय

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- डॉ. रमेश ठाकुर बिना नर्स के समूचा चिकित्सा तंत्र अधूरा है क्योंकि वह अस्पतालों की रीढ़ होती हैं। वे अपने कर्तव्य, समर्पण और प्रतिबद्धता से चिकित्सीय पेशे का संचालन करती हैं। सालाना 6 मई को ‘राष्ट्रीय नर्स दिवस’ मनाया जाता है। पिछले वर्ष यानी 2023 को इस दिवस की थीम थी ‘हमारी नर्से, हमारा भविष्य’। राष्ट्रीय नर्स दिवस की स्थापना किसी एक व्यक्ति द्वारा नहीं की गई थी, बल्कि 1982 में संयुक्त राज्य कांग्रेस द्वारा की गई। ये दिवस नर्सिंग की संस्थापिका फ्लोरेंस नाइटिंगेल के जन्मदिन की स्मृति में मनाया जाता है। राष्ट्रीय नर्स दिवस ऐसा दिन है, जो नर्सों के योगदान और उनकी कड़ी मेहनत का सम्मान और जश्न मनाने के लिए होता है। वैसे इस दिवस को पूरे एक सप्ताह के लिए मनाया जाता है। यानी 6 से 12 मई तक। गौरतलब है कि ये पेशा स्वास्थ्य को बढ़ावा देने, बीमारियों को रोकने और विभिन्न प्रकार की चिकित्सीय स्थ...
अस्तित्च के संकट से जूझती कम्यूनिस्ट पार्टियां

अस्तित्च के संकट से जूझती कम्यूनिस्ट पार्टियां

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- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद शर्मा देश की कम्यूनिस्ट पार्टियों के सामने अस्तित्व का संकट है। साल 2004 के बाद लोकसभा में वामदलों का प्रतिनिधित्व लगातार कम होता जा रहा है। अब 18 वीं लोकसभा के चुनाव में वामदलों के सामने अस्तित्व बचाए रखने का संकट है। आजादी से पहले और उसके बाद के दौर में एक समय पूरे देश में वामदल काफी प्रभावी थे। सरकार भले कम ही राज्यों में रही हो पर वामदल और उसके अनुशांगिक संगठन चाहे वह स्टूडेंट फेडरेशन हो या मजदूर संगठन या लेखक संघ सभी की अपनी पहचान थी। पर कुछ समय के बदलाव तो कुछ अपने धत्कर्मों की वजह से वामदलों के सामने पहचान का संकट खड़ा हो गया है। प. बंगाल में वामदलों ने तीन दशक से भी अधिक समय तक एकछत्र राज किया। वहीं, त्रिपुरा, केरल में भी वामदलों की सरकार रही है। पर 2019 के लोकसभा के चुनाव आते-आते हालात यह हो गई कि वामदलों के गढ़ प. बंगाल में वामदलों को एक भी सीट नहीं मिल...
विपक्ष के टूलकिट मुद्दों की निकली हवा

विपक्ष के टूलकिट मुद्दों की निकली हवा

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- मृत्युंजय दीक्षित स्वतंत्रता के बाद देश में अभी तक जितने भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव हुए हैं उनमें पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व में बना गठबंधन हर दृष्टि से कमजोर नजर आ रहा है । जब से लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस व इंडी गठबंधन के नेताओं ने प्रचार आरम्भ किया है तभी से राहुल गांधी व उनके प्रवक्ता तमाम मंचों पर केवल एक ही बहस कर रहे हैं कि अगर मोदी जी तीसरी बार 400 सीटों के साथ प्रधानमंत्री बन जाते हैं तो भाजपा संविधान को फाड़ कर फेंक देगी। दोबारा चुनाव नहीं। इसके अतिरिक्त यह लोग प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के डीप फेक वीडियो वायरल कर झूठ फैला रहे हैं। शाह के वीडियो प्रकरण में गिरफ्तारी भी हुई हैं। चुनाव प्रचार में जुटे प्रधानमंत्री मोदी ने इस फर्जी वीडियो प्रकरण को अपने पक्ष में मोड़कर मुद्दा बनाने में सफलता प्राप्त कर ली है साथ ही। वो संविधान और आरक्षण के नाम पर विगत 70 ...
विवाह भारतीय समाज की मजबूती का आधार

विवाह भारतीय समाज की मजबूती का आधार

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- हृदयनारायण दीक्षित आधुनिक सभ्यता के प्रभाव शुभ नहीं हैं। जीवन के सभी आयामों में आधुनिकता का बुरा प्रभाव पड़ रहा है। परिवार खूबसूरत संस्था है। लेकिन आधुनिकता की चपेट में है। वस्तुतः आधुनिकता प्राचीनता का ही हिस्सा है और उसी का विकास है। भारत प्राचीन सभ्यता है। इस सभ्यता का सतत् विकास हुआ है। आधुनिकता और प्राचीनता को खण्डों में नहीं बांटा जा सकता। प्राचीन सभ्यता से विकसित होकर बनने वाली आधुनिकता स्वागत योग्य है। लेकिन वर्तमान भारत की आधुनिकता में विदेशी सभ्यता की वरीयता है। यह प्राचीन भारतीय सभ्यता, दर्शन और अनुभूति को पिछड़ापन मानती है। उधार की विदेशी आधुनिकता ने राष्ट्रजीवन के सभी क्षेत्रों को कुप्रभावित किया है। ऋग्वेद के रचनाकाल के पहले ही भारत की संस्कृति और सभ्यता का विकास हो चुका था। भारतीय सभ्यता में परिवार आत्मीय संगठन थे। परिवार के सभी सदस्यों के एक साथ रहने और रमने के सूत्र ...
योग…100 दिन, 100 शहर और 100 संगठन

योग…100 दिन, 100 शहर और 100 संगठन

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- मुकुंद देश में अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। दो मई को भव्य उत्सव 'योग महोत्सव' के दौरान सूरत योग के आनंद से ओत-प्रोत रहा। सूरत के अठवालाइंस के पुलिस परेड ग्राउंड में आयोजित इस कार्यक्रम में लोगों ने बड़ी संख्या में हिस्सा लिया। इस भव्य आयोजन में सात हजार से अधिक लोग सुबह 7.00 बजे से सामान्य योग प्रोटोकॉल (सीवाईपी) के अभ्यास में शामिल हुए। इनके उत्साह और सक्रिय जुड़ाव ने व्यक्तिगत और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देने में योग के बढ़ते महत्व को रेखांकित किया। भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय ने इस महोत्सव की व्यापक चर्चा की है। इस आयोजन में आयुष मंत्रालय के सचिव वैद्य राजेश कोटेचा, उप महानिदेशक सत्यजीत पॉल, नई दिल्ली के अंतर-विश्वविद्यालय त्वरक केंद्र और बेंगलुरु स्थित अंतर-विश्वविद्यालय केंद्र (योग विज्ञान) के निदेशक प्रो.अविनाश चंद्र पाण्डेय और मोरारजी ...