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फसल में कीड़ों के हमले व खेत में खरपतवार पर अंकुश लगाना जरूरी – कटियार

मुरैना – फसलों में लगने वाले रोग, कीट व खरपतवार का प्रबंधन आज आवश्यक हो गया है। कृषि के क्षेत्र में किसान की आय तभी दोगुनी होगी जब खेत में खड़ी फसल पूर्ण सुरक्षा एवं अधिक उत्पादन के साथ उचित प्रबंधन कर के उसके घर पर पहुंच जाये। इसके लिये किसान को फसल पर होने वाले कीड़ों के हमले व खेत में उत्पन्न अनचाहे पौधों पर अंकुश लगाना होगा। यह विचार केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन द्वारा किसान व ग्राम अधिकारियोंं को 5 दिवसीय प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर मुरैना प्रमुख सुनीत कुमार कटियार द्वारा व्यक्त किये गये। इस प्रशिक्षण में मध्यप्रदेश के 41 ग्रामीण कृषि अधिकारी शामिल हुये थे। भारत सरकार के कृषि विभाग की शाखा केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन मुरैना द्वारा मानव संसाधन विकास प्रशिक्षण आयोजित किया गया था। प्रशिक्षण के समापन समारोह में विभाग के संयुक्त निदेशक केएस नेताम जबलपुर रीवा संभाग तथा आरसीआईपीएमसी फरीदाबाद के उपनिदेशक डा. बी डी निगम के द्वारा कृषि पारिस्थितिकी का विश्लेषण करते हुये फसलों के प्रबंधन का निर्णय लिये जाने को महत्वपूर्ण बताया। अधिकारीद्वय ने समापन समारोह के अवसर पर मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित किया। इस अवसर पर अतिथियों का स्वागत कार्यालय के प्रवीण कुमार, अभिषेक बादल, बोली बेनी बाबू ने माल्यार्पण कर किया। प्रशिक्षणार्थियों को तकनीकी विशेषज्ञों ने कीटनाशक दवाओं का उपयोग फसल में आर्थिक स्तर की क्षति पर किया जाना बताया।
कीटनाशक दवाओं का उपयोग फसलों में अत्यधिक बीमारी में किये जाने तथा कीटों के नष्ट होने पर ही उचित मात्रा के साथ विवेकपूर्ण किया जाना बताया। वहीं इन दवाओं का उपयोग करने की प्रक्रिया तथा स्वयं को सुरक्षित रखे जाने के विषय में जानकारी दी। फसल में अनचाहे कचरे को नष्ट करने की विधी को अवगत कराते हुये बताया कि दवाओं का अधिक उपयोग फसल के सहयोगी व मित्र कीटों पर भी हो रहा है। इससे फसल परिस्थिकी को नुकसान होगा। विशेषज्ञों ने अनाज, दलहन, तिलहन एवं सब्जी की फसलों में कीट, बीमारी और खरपतवार के प्रबंधन किये जाने का प्रायोगिक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया। इसके लिये सभी प्रशिक्षणार्थियों को महाराजपुर गांव के गेंहू तथा सब्जियों के खेतों में ले जाया गया। खेतों में खड़ी गोभी, मिर्च, टमाटर, धनिया की फसलों में कीट ब्याधि की वृद्धि होने पर पेस्टिसाईड का उपयोग किये जाने का निर्णय प्रशिक्षणार्थियों से ही कराया गया। यहां पर प्रशिक्षण की सफलता स्पष्ट दिखाई दी जब प्रशिक्षणार्थियों ने खेतों में खड़ी फसलों में कीटनाशकों के प्रबंधन का निर्णय स्वयं लिया। केन्द्र सरकार के कृषि विभाग की मुरैना स्थित केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कार्यालय द्वारा अल्प समय में ही किसानों के साथ कृषि विशेषज्ञों व क्षेत्र में प्रशिक्षण तथा रूबरू होकर दी जा रही जानकारी एक बड़ी उपलब्धि के रूप मेें सामने आई है। इस प्रशिक्षण का आयोजन ग्वालियर चम्बल संभाग में संचालित केन्द्रीय एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन कार्यालय द्वारा कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय भारत सरकार कृषि एवं किसान कल्याण विभाग मध्यप्रदेश, वनस्पति संरक्षण, संगरोध एवं संग्रह निदेशालय के सहयेाग से आयोजित किया गया था। इसमें राजमाता विजयाराजे सिंधिया, कृषि विश्व विद्यालय ग्वालियर सहित देशभर से आये विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को अनेक तकनीकी के विषय में जानकारी दी।