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अपने पौराणिक महत्ता के लिए विख्यात है सीवान का सोहगरा शिव मंदिर

सीवान, 16 जुलाई (एजेंसी)।बिहार और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती , सीवान जिले के गुठनी थाना क्षेत्र के सोहगरा में द्वापर युग में दैत्य राजा वाणासुर द्वारा बनवाया गया प्राचीन ऐतिहासिक और पौराणिक तीर्थस्थलों मे सर्वश्रेष्ठ नवो नाथ महादेव में शामिल बाबा हंसनाथ का शिव मंदिर है। मान्यता के अनुसार, वाणासुर ने अपनी बेटी उषा के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया था। उषा इसी मंदिर में पूजा-अर्चना करती थीं।

यहां प्रतिवर्ष सावन में भारत के विभिन्न प्रांतों से लाखों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं और बाबा हंसनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक कर अपना जीवन धन्य करते हैं।

उल्लेखनीय हो कि शिव महापुराण में सोहगरा के बारे मे विस्तृत वर्णन मिलता है। जानकार बताते हैं कि द्वापर युग मे वाणासुर नाम का एक प्रतापी राजा शोणितपुर सोहनपुर, उत्तरप्रदेश में रहा करता था। वह शिवभक्त था तथा पूजा करने के लिए उसने इस विशाल शिवलिंग की स्थापना की थी। हालांकि, कुछ लोग ऐसा भी बताते हैं कि भगवान भोलेनाथ वाणासुर के भक्ति से प्रसन्न होकर कई वरदान दिये थे और अपने समय मे विश्व में कोई भी वाणासुर के समान ताकतवर योद्धा नहीं था। जो अपनी वीरता के अभिमान में आकर वाणासुर ने भगवान शिव को ही युद्ध के लिए ललकारने लगा तभी भगवान शिव ने एक ध्वजा दिया और कहा कि जिस दिन यह ध्वजा झुक जायेगी उसी दिन तुमसे लड़ने वाला योद्धा तुम्हारे पास आ जाएगा और तुम्हारे अभिमान को चूर-चूर कर देगा। कुछ दिनों बाद वाणासुर की पुत्री उषा यही सोहगरा के शिवमंदिर में पूजा करने आती है यहीं पर भगवान श्रीकृष्ण के पुत्र अनिरुद्ध से उषा को प्रेम हो जाता है और उसी दिन वाणासुर का ध्वज झुक जाता है। फिर श्रीकृष्ण और वाणासुर मे भयंकर युद्ध होता है जिसमें वाणासुर हार जाता है उसकी बेटी उषा के साथ अनिरूद्ध का विवाह होता है।

यह प्राचीन शिव मंदिर छोटी गंडक के किनारे बसा हुआ है। यहां आज भी खेतों मे प्राचीन काल के अवशेष मिलते रहते हैं तथा शहर की बनावट और रूपरेखा से ऐसा लगता है कि पूर्व में यह विकसित शहर रहा होगा। यह मंदिर सतह जमीन से लगभग बीस- पच्चीस फीट ऊंचा स्थान पर बना हुआ है। मंदिर के गर्भगृह के चारों ओर बरामदा बना हुआ है। पूरब और उत्तर की तरफ सीढ़ियों की सुन्दरता देखते ही बनती है। गर्भगृह मे लगभग पांच फीट ऊंचा और तीन फीट चौड़ा बिशाल शिवलिंग है जो बाणासुर द्वारा स्थापित किया गया है। कालांतर मे मंदिर की अवस्था जीर्ण हो जाने से इसका जीर्णोद्धार मझौली के महाराज हंस द्वारा कराया गया जिससे शिवलिंग का नाम हंसनाथ से प्रसिद्ध हो गया।

स्थानीय पत्रकार कन्हैया कुमार से मिली जानकारी अनुसार गुठनी के ग्यासपुर स्थित पवित्र सरयू नदी तट से मंदिर से दूरी लगभग 15 किलोमीटर, दरौली स्थित पवित्र सरयू नदी तट से मंदिर से दूरी लगभग 28 किलोमीटर, उत्तर प्रदेश के भागलपुर स्थित पवित्र सरयू नदी तट से मंदिर से मंदिर की दूरी लगभग 30 किलोमीटर, शिव धाम क्षेत्र स्थित पवित्र छोटी गंडक, व तत्कालीन हिरण्यवती नदी मंदिर से दूरी मात्र 1 किलोमीटर, इसके अलावा यूपी के चनुकी स्थित छोटी गंडक नदी तट गुठनी के राम जानकी मंदिर छोटी गंडक नदी तट सहित अन्य तट से जल उठाए जाते हैं।

उन्होंने बताया कि जिला मुख्यालय सीवान से सोहगरा बाबा हंसनाथ धाम 38 किलो मीटर, मैरवा से 22 किलो मीटर, गूठनी से 10 किलोमीटर, तेनुआ मोड़ से 08 किलो मीटर, बाबा हंसनाथ मंदिर स्थित हैं।