Thursday, May 16"खबर जो असर करे"

स्वास्थ्य विभाग के वाहन चालक का दूसरा बेटा भी बना मेडिकल ऑफिसर

बैतूल। एक प्रचलित कहावत है कि पूत कपूत तो क्या धन संचय पूत सपूत तो क्या धन संचय। इसी कहावत को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य विभाग में वाहन चालक के पद पर पदस्थ फदन माहोरे ने अपने पूरे जीवन में धन संचय करना छोड़ उल्टी खानदानी संपत्ति बेचकर अपने चारों पुत्रों को सपूत बनाने में लगा दी। अब उनके पुत्र एक-एक कर अपने पिता के अरमानों पर खरा उतरकर उन्हें गौरवान्वित कर रहे है। पांच साल पहले फुदन माहोरे के दूसरे नंबर के पुत्र डॉ. अजय माहोरे ने एमबीबीएस करने के बाद आठनेर में मेडिकल ऑफिसर के पद पर ज्वाईन किया था जो अब आठनेर बीएमओ है वहीं गणेश चतुर्थी के दिन उनके तीसरे नंबर के पुत्र डॉ. विजय माहोरे ने भीमपुर ब्लॉक के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र चूनालोमा में मेडिकल ऑफिसर पद पर ज्वाइनिंग दी। इतना ही नहीं फुदन माहोरे का बड़ा बेटा वन विभाग में डिप्टी रेंजर है वहीं सबसे छोटा बेटा अभिषेक माहोरे महावीर मेडिकल कॉलेज भोपाल में एमबीबीएस सेकेण्ड ईयर का छात्र है और तीन साल बाद वह भी डॉक्टर बनकर पिता का सीना गर्व से चौड़ा करने वाला है।
अभाव में रहकर बेटो को बनाया काबिल
स्वास्थ्य विभाग बैतूल में वाहन चालक के पद पर पदस्थ फुदन माहोरे ने अपनी पूरी जिंदगी अभाव में रहकर संघर्ष करते हुए निकाल दी लेकिन अपने चारों बेटो को इतना काबिल बना दिया कि अच्छे-अच्छे पदों पर बैठे लोग उनकी किस्मत से ईष्र्या करने लगे है। 1990 में स्वास्थ्य विभाग में वाहन चालक के पद पर पदस्थ होने के पूर्व फुदन पहलवान बाबा की दरगाह के पास परिवार के साथ झोपड़ी में रहकर फल्लीदाना वाली स्पेशल चिरोंजी बनाने का कार्य करते थे। इस जोखिम भरे काम की निशानी आज भी उनके शरीर पर मौजूद है। इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने बेटो का केरियर बनाने लगातार संघर्ष करते रहे।
एक बेटा डिप्टी रेंजर तो तीन बने डॉक्टर
फुदन माहोरे ने हिस चर्चा में बताया कि उनके चार बेटे है। उन्होंने जीवन में कभी भी भविष्य के लिए धन जमा करने की बजाए बेटों को योग्य बनाने पर ध्यान दिया। बेटों की पढ़ाई के लिए खानदानी प्रापर्टी तक बेच दी। बेटो ने भी पिता के संघर्ष को करीब से देखा और लगातार मेहनत करते रहे। इसी का परिणाम है कि सबसे पहले फुदन माहोरे का बड़ा बेटा प्रदीप माहोरे वन विभाग में 2008 में नाकेदार के पद पर चयनित हुआ। जो वर्तमान में उत्तर वन मंडल बैतूल में डिप्टी रेंजर के पद पर पदस्थ है। इसके बाद पिता के साथ ही बड़े भाई ने छोटे भाईयों की शिक्षा करवाने में सहयोग किया। और तीनों छोटे बेटो को एमबीबीएस की पढ़ाई करवाई। दूसरे नंबर के बेटे डॉ. अजय माहोरे एमबीबीएस करने के बाद बैतूल जिले में ही पदस्थ हुए और वर्तमान में आठनेर बीएमओ है। वहीं तीसरे नंबर के बेटे डॉ. विजय माहोरे का एमबीबीएस 4 माह पूर्व पूर्ण हुआ। उनकी नियुक्ति भी भीमपुर ब्लॉक के चूनालोमा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में हुई। डॉ. विजय माहोरे ने मेडिकल ऑफिसर के पद पर ज्वाइनिंग दे दी। फुदन माहोरे का सबसे छोटा बेटा भी एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है और भोपाल में महावीर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सेकेण्ड ईयर का छात्र है। तीन साल बाद वह भी डॉक्टर बनकर सेवाएं देंगे। अपने बेटो की उपलब्धियों से प्रफुल्लित फुदन माहोरे ने बताया कि उनके बेटों ने गरीबी और संघर्ष करीब से देखा है। अपने जीवन में वे भी गरीबों का दुख दर्द समझकर उनकी सेवा करेंगे।