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विशेषः नर्सिंग की जन्मदाता फ्लोरेंस नाइटिंगेल को नमन

विशेषः नर्सिंग की जन्मदाता फ्लोरेंस नाइटिंगेल को नमन

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- योगेश कुमार गोयल दया और सेवा की प्रतिमूर्ति फ्लोरेंस नाइटिंगेल को आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता माना जाता है। 12 मई को उनकी 204वीं जयंती है। उनके सम्मान में सारी दुनिया हर साल 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस मनाती है।इस विशेष अवसर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत नर्सिंग कर्मियों का सम्मान भी किया जाता है। 'लेडी विद द लैंप' के नाम से विख्यात नाइटिंगेल का जन्म 12 मई 1820 को इटली के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। भारत सरकार ने 1973 में नर्सों को सम्मानित करने के लिए उन्हीं के नाम से 'फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार' की स्थापना की। यह पुरस्कार हर साल अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर प्रदान किए जाते हैं। फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक बेहद खूबसूरत, पढ़ी-लिखी और समझदार युवती थी। उन्होंने अंग्रेजी, इटैलियन, लैटिन, जर्मनी, फ्रैंच भाषा सीखी। इतिहास और दर्शन शास्त्र का अध्ययन किया। अपनी बहन और माता-पिता के सा...
विशेषः युवाओं के हीरो सुभाष चन्द्र बोस

विशेषः युवाओं के हीरो सुभाष चन्द्र बोस

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- डॉ. नाज परवीन भारत युवाओं की प्रेरणास्थली रहा है। यहां की मिट्टी में ऐसे महापुरुषों का जन्म हुआ है, जिन्होंने न केवल भारत के नौजवानों के लिए उत्साहवर्धन का काम किया है अपितु दुनिया भर में साहस और शौर्य का प्रतीक बने हैं। भारत विविधताओं से भरी क्षमताओं वाला देश है। विपरीत परिस्थितियों से लड़कर जीत हासिल करने में पारंगत लोगों की फेहरिस्त में अग्रिणी नाम है नेताजी सुभाषचन्द्र बोस का, जिनके जन्म दिवस 23 जनवरी को भारत ’’पराक्रम दिवस’’ के रूप में मनाता है। उनकी सूझबूझ और रणनीति से प्रेरित होकर जर्मनी के तानाशाह हिटलर ने उन्हें नेताजी कहकर संबोधित किया। 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में जानकीनाथ बोस और प्रभावतीदत्त बोस के घर जन्मे सुभाषचन्द्र बोस युवाओं के जोशीले नेताजी के रूप में तमाम नवयुवकों के हीरो हैं। जो जीवन की चुनौतियों को स्वीकारना जानते हैं। सदियों से कहावत रही है कि ’पूत के पां...
विशेष: अच्छा होगा पर्यावरण तो अच्छा होगा स्वास्थ्य

विशेष: अच्छा होगा पर्यावरण तो अच्छा होगा स्वास्थ्य

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- योगेश कुमार गोयल पर्यावरणीय स्वास्थ्य का मानव स्वास्थ्य से गहरा संबंध है। हमारा पर्यावरण जितना स्वस्थ होगा, हमारा स्वास्थ्य भी उतना ही अच्छा होगा। इसका सीधा सा अर्थ है कि हम अपने स्वास्थ्य के लिए काफी हद तक पर्यावरण के प्रति उत्तरदायी हैं और इसलिए पर्यावरणीय स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी प्रमुख जिम्मेदारी है। उत्तम स्वास्थ्य के साथ प्रकृति और पर्यावरण हमें भोजन, कपड़े इत्यादि जीवित रहने के लिए भी हर चीज प्रदान करते हैं, इसलिए न केवल स्वस्थ रहने के लिए बल्कि धरती पर जीवन का अस्तित्व बचाए रखने के लिए प्रकृति और पर्यावरण का ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है लेकिन गहन चिंता का विषय यही है कि अब प्रकृति के साथ मानव जाति द्वारा किए जा रहे खिलवाड़ के कारण ही वैश्विक पर्यावरण को गंभीर नुकसान हो रहा है, जिसका खामियाजा अब दुनिया के लगभग तमाम देश भुगत भी रहे हैं। विकास के नाम पर प्रकृति के सा...
विशेष: ओजोन परत के बिना समाप्त हो जाएगा पृथ्वी पर जीवन

विशेष: ओजोन परत के बिना समाप्त हो जाएगा पृथ्वी पर जीवन

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- योगेश कुमार गोयल 16 सितंबर 1987 को मॉन्ट्रियल में ओजोन परत के क्षय को रोकने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय समझौता हुआ था, जिसमें उन रसायनों के प्रयोग को रोकने से संबंधित एक बेहद महत्वपूर्ण समझौता था, जो ओजोन परत में छिद्र के लिए उत्तरदायी माने जाते हैं। ओजोन परत कैसे बनती है, यह कितनी तेजी से कम हो रही है और इस कमी को रोकने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं, इसी संबंध में जागरुकता पैदा करने के लिए 1994 से प्रतिवर्ष ‘विश्व ओजोन दिवस’ मनाया जाता है किन्तु चिन्ता की बात यह है कि पिछले कई वर्षों से ओजोन दिवस मनाए जाते रहने के बावजूद ओजोन परत की मोटाई कम हो रही है। प्रतिवर्ष एक विशेष थीम के साथ यह महत्वपूर्ण दिवस मनाया जाता है और इस वर्ष विश्व ओजोन दिवस थीम है ‘मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: फिक्सिंग द ओजोन लेयर एंड रिड्यूसिंग क्लाइमेट चेंज’ अर्थात ‘मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल: ओजोन परत को ठीक करना और जलवायु परिवर्...
विशेष: अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 8 सितम्बर को ही क्यों?

विशेष: अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस 8 सितम्बर को ही क्यों?

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- योगेश कुमार गोयल साक्षरता के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 8 सितम्बर को विश्वभर में ‘अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ मनाया जाता है। दुनिया से अशिक्षा को समाप्त करने के संकल्प के साथ आज 57वां ‘अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस’ मनाया जा रहा है। पहली बार यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन) द्वारा 17 नवम्बर 1965 को 8 सितम्बर को ही अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस मनाए जाने की घोषणा की गई थी, जिसके बाद प्रथम बार 8 सितम्बर 1966 से शिक्षा के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ाने तथा विश्वभर के लोगों का इस ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए प्रतिवर्ष इसी दिन यह दिवस मनाए जाने का निर्णय लिया गया। वास्तव में यह संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों का ही प्रमुख घटक है। निरक्षरता को खत्म करने के लिए ईरान के तेहरान में शिक्षा मंत्रियों के विश्व सम्मेलन के दौर...
विशेष: नेत्रदान का संकल्प करें, मृत्यु के बाद मृत्युंजय बनें

विशेष: नेत्रदान का संकल्प करें, मृत्यु के बाद मृत्युंजय बनें

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- डॉ. अविनाश चन्द्र अग्निहोत्री राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा एक अभियान है, जो प्रत्येक वर्ष 25 अगस्त से 08 सितम्बर तक 15 दिनों के लिए शासकीय व अशासकीय संस्थाओं द्वारा मनाया जाता है। दृष्टिहीनता के नियंत्रण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में यह समस्त भारत में आयोजित किया जाता है। राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा 1985 में शुरू हुआ था। वास्तव में नेत्रदान पखवाड़े का दायित्व स्वास्थ्य मंत्रालय तथा केंद्र सरकार के कंधों पर रहता है। राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए अशासकीय सेवा भावी संस्थाएं भी अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करती हैं। इसका उद्देश्य अंधत्व निवारण के लिए नेत्रदान के महान कार्य को प्रोत्साहित करना है। साथ ही लोगों को मृत्यु उपरांत नेत्रदान के लिए प्रेरित करना है। देश 38वां नेत्रदान पखवाड़ा मना रहा है। माधव नेत्रपेढी की स्थापना 1995 में हुई। तभी से माधव नेत्...
विशेष: आप करें रक्तदान, दूसरों की बचाएं जान

विशेष: आप करें रक्तदान, दूसरों की बचाएं जान

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- योगेश कुमार गोयल रक्तदान को समस्त विश्व में सबसे बड़ा दान माना गया है, क्योंकि रक्तदान ही है, जो न केवल किसी जरूरतमंद का जीवन बचाता है बल्कि जिंदगी बचाकर उस परिवार के जीवन में खुशियों के ढेरों रंग भी भरता है लेकिन विड़म्बना है कि रक्तदान के महत्व को जानते-समझते हुए भी रक्त के अभाव में आज भी दुनियाभर में हर साल लाखों लोग असमय ही काल के ग्रास बन जाते हैं, जिनमें अकेले भारत में ही रक्त की कमी के चलते होने वाली ऐसी मौतों की बड़ी संख्या होती है क्योंकि देश में प्रतिवर्ष करीब चालीस लाख यूनिट रक्त की कमी रह जाती है। दरअसल रक्तदान के महत्व को लेकर किए जाते रहे प्रचार-प्रसार के बावजूद आज भी बहुत से लोगों के दिलोदिमाग में रक्तदान को लेकर कुछ गलत धारणाएं विद्यमान हैं, जैसे रक्तदान करने से संक्रमण का खतरा रहता है, शरीर में कमजोरी आती है, बीमारियां शरीर को जकड़ सकती हैं या एचआईवी जैसी बीमारी हो सकती...
नर्स दिवस पर विशेष: स्वास्थ्य तंत्र की ‘रीढ़’ हैं नर्सें

नर्स दिवस पर विशेष: स्वास्थ्य तंत्र की ‘रीढ़’ हैं नर्सें

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- डॉ. रमेश ठाकुर नर्स का नाम आते ही सफेद या आसमानी वस्त्र में किसी रोगी की सेवा करती युवती की तस्वीर आंखों के सामने उभर कर आती है। चिकित्सा कार्यों में सहयोग देने वाली युवतियों ने इस कार्य को इतना महान बना दिया है कि लोग इन्हें बहुत आदर और प्रेम से ‘सिस्टर’ कहकर पुकारते हैं। बिना भेदभाव के वह इस मुंह बोले रिश्ते को अपने पेशे के साथ-साथ बखूबी निभाती भी हैं। इसीलिए ये नर्स चिकित्सा में सेवा, समूचे स्वास्थ्य तंत्र और उससे जुड़ी तमाम चिकित्सीय प्रणालियों की ‘रीढ़’ मानी जाती हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सहायक के रूप में इनके योगदान की जब बातें होती हैं तो शब्द कम पड़ जाते हैं। 12 मई को ‘अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस’ है जो पूरी तरह से इन्हीं के कर्तव्यों को समर्पित है। नर्सों का योगदान तो हमेशा से सराहनीय रहा ही है। पर, कोरोना महामारी में इनके समक्ष जो चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हुईं, उनका भी इन्होंने...
विशेष: नर्सों के समाज के लिए योगदान को नमन

विशेष: नर्सों के समाज के लिए योगदान को नमन

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- योगेश कुमार गोयल दया और सेवा की प्रतिमूर्ति फ्लोरेंस नाइटिंगेल को आधुनिक नर्सिंग की जन्मदाता माना जाता है, जिनकी शुक्रवार को हम 203वीं जयंती मना रहे हैं। प्रतिवर्ष उन्हीं की जयंती को 12 मई को अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस विशेष अवसर पर स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत नर्सिंग कर्मियों के योगदान को नमन करना बेहद जरूरी है। ‘लेडी विद द लैंप’ के नाम से विख्यात नाइटिंगेल का जन्म 203 वर्ष पहले 12 मई, 1820 को इटली के फ्लोरेंस शहर में हुआ था। भारत सरकार द्वारा वर्ष 1973 में नर्सों द्वारा किए गए अनुकरणीय कार्यों को सम्मानित करने के लिए उन्हीं के नाम से ‘फ्लोरेंस नाइटिंगेल पुरस्कार’ की स्थापना की गई थी, जो प्रतिवर्ष अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस के अवसर पर प्रदान किए जाते हैं। फ्लोरेंस नाइटिंगेल एक बेहद खूबसूरत, पढ़ी-लिखी और समझदार युवती थीं। उन्होंने अंग्रेजी, इटेलियन, लैटिन, जर्म...