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महाराणा प्रताप: राजपूत आन-बान-शान के ध्वजावाहक

महाराणा प्रताप: राजपूत आन-बान-शान के ध्वजावाहक

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- रमेश सर्राफ धमोरा भारतीय इतिहास में राजपूताना का गौरवपूर्ण स्थान रहा है। यहां के रणबांकुरों ने देश, जाति, धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने में संकोच नहीं किया। वीरों की इस भूमि में राजपूतों के छोटे-बड़े अनेक राज्य रहे हैं, जिन्होंने भारत की स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया। इन्हीं राज्यों में मेवाड़ का अपना अलग ही स्थान है। इसमें महाराणा प्रताप जैसे महान वीर ने जन्म लिया था। मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप अपने पराक्रम और शौर्य के लिए पूरी दुनिया में मिसाल के तौर पर जाने जाते हैं। एक ऐसे राजपूत राजा जो जीवन पर्यन्त मुगलों से लड़ते रहे, जिसने जंगलों में रहना पसंद किया, लेकिन कभी विदेशी मुगलों की गुलामी स्वीकार नहीं की थी। उन्होंने देश, धर्म और स्वाधीनता के लिए सब कुछ न्योछावर कर दिया था। महाराणा प्रताप का जन्म 9 मई 1540 को राजस्थान के कुम्भलगढ़ में सिसोदिया कुल में हुआ था। उनके...
शौर्य का पर्याय भारतीय वायुसेना

शौर्य का पर्याय भारतीय वायुसेना

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- आर.के. सिन्हा भारतीय वायुसेना के शौर्य पर हम भारतीय नागरिक जितना चाहें गर्व कर सकते हैं। देश आठ अक्टूबर को वायुसेना स्थापना दिवस के रूप में मनाता है। इसकी स्थापना 1932 में आठ अक्टूबर को हुई थी। तब तो अंग्रेजी हुकूमत के दिनों में इसे रायल इंडियन एयरफोर्स कहा जाता था। भारतीय वायुसेना को उसके कार्यों और देश की मजबूत सुरक्षा में योगदान के लिए हमेशा याद रखा ही जाना चाहिए। भारतीय वायुसेना की शक्ति सारे देश और देशवासियों को आश्वस्त करती रहती है। जब भी दुश्मन ने भारत पर हमला किया तो वायुसेना ने सेना के बाकी अंगों के साथ मिलकर शत्रु की गर्दन में ऐसा अंगूठा डाला है जिससे उसकी जान निकल गई है । भारतीय वायुसेना के गौरवमयी इतिहास से सारा देश परिचित है। अगर बात 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध से शुरू करें तो फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों की याद आना स्वाभाविक है। वे उस वक्त राजधानी के रेस कोर्स स्थि...
‘चंद्र’यान-3… अब शोध हो महीन

‘चंद्र’यान-3… अब शोध हो महीन

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- के. विक्रम राव भारत के चंद्रयान-3 की सफलता ने दुनिया के वैज्ञानिकों को अचंभित कर दिया है। सारे देश में खुशी का माहौल है। होना भी चाहिए। यह हर भारतीय के लिए गौरव की बात है। मेरा मानना है कि अब इस पर विशद शोध शुरू होना चाहिए कि आमजन के जीवन पर इसका प्रभाव कैसा, क्या और कितना पड़ेगा ? यह महत्वपूर्ण खगोलीय घटनाक्रम है। यूं चंद्र उपग्रह है, मगर उसे ज्योतिष में पूर्णग्रह माना जाता है। संतोषजनक रहा कि यह यान चांद पर विशाखा नक्षत्र में स्थापित हुआ था, जो सर्वाधिक शुभ माना जाता है। चंद्रमा तो मन का कारक भी है। यह शोध इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होगी क्योंकि यूपी के पुलिस महानिदेशक विजय कुमार (आईपीएस-1988) ने गत सप्ताह (21 अगस्त 2023) ने चंद्रकलाओं के आधार पर पुलिस की तैनाती का उल्लेख किया था। पंचांग के महत्व को उकेरा था। उनके शब्दों में-'अधीनस्थ अधिकारियों को हिंदू पंचांग के आधार पर चंद्रमा की ग...
बहन-बेटियों का सम्मान और शान कभी कम नहीं होने दूंगा: शिवराज

बहन-बेटियों का सम्मान और शान कभी कम नहीं होने दूंगा: शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
-उदयपुर मंदिर का कॉरिडोर बनाने की घोषणा की -142 करोड़ से अधिक के विकास कार्यों की दी सौगात भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने लाडली बहना योजना (Ladli Behna Yojana) को बहनों की जिंदगी बदलने का अभियान बताते हुए कहा कि वे प्रदेश की बहन-बेटियों का मान-सम्मान और शान कभी कम नहीं होने देंगे। उन्होंने 21 वर्ष की बहनों के भी आवेदन शीघ्र भरवाए जाने और बासोदा के उदयपुर मंदिर का कॉरिडोर (Udaipur Temple Corridor) बनवाने की घोषणा की। मुख्यमंत्री चौहान बुधवार को विदिशा जिले के गंजबासौदा में 150 बिस्तर के अस्पताल के भूमिपूजन सहित 142 करोड़ 57 लाख रुपये के विभिन्न निर्माण कार्यों का लोकार्पण और शिलान्यास करने के बाद लाडली बहना सम्मेलन और मुख्यमंत्री भू-अधिकार पत्रों के वितरण कार्यक्रम में बहनों से संवाद कर रहे थे। उन्होंने दोहराया कि लाडली बहनो...
MP: मुख्यमंत्री ने की विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड के गठन की घोषणा, कहा-विश्वकर्मा समाज का गौरव प्राचीन

MP: मुख्यमंत्री ने की विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड के गठन की घोषणा, कहा-विश्वकर्मा समाज का गौरव प्राचीन

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि भगवान विश्वकर्मा (Lord Vishwakarma) की कृपा हम सब पर है। वे हमारी सृष्टि के सर्वोच्च वास्तुकार हैं। ऋग्वेद में भगवान विश्वकर्मा का दुनिया के सबसे बड़े कारीगर (world's greatest craftsman) के रूप में उल्लेख किया गया है। समुद्र मंथन से भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ। सभी मशीनरी एवं अन्य वस्तुओं का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया है। वे निर्माण के देवता हैं। विश्वकर्मा समाज का गौरव प्राचीन और ऐतिसाहिक (pride of Vishwakarma society is ancient and historical) है। साथ ही समाज के लोग अत्यंत मेहनती, परिश्रमी और ईमानदार हैं। राज्य सरकार समाज के उत्थान के लिए कोई कमी नहीं छोड़ेंगी। मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना का लाभ विश्वकर्मा समाज की बहनों को भी मिलेगा। मुख्यमंत्री चौहान मंगलवार शाम को अपने निवास पर आयोजित ...
भारत की आर्थिक मजबूती पर गर्व

भारत की आर्थिक मजबूती पर गर्व

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- कमलेश पांडेय क्या आपको पता है कि 21 सदी के दूसरे दशक में वैश्विक महामारी कोरोना और उसके बाद रूस-यूक्रेन के बीच छिड़ी जंग से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बन चुके विपरीत हालात से निपटने में भारत कई देशों के मुकाबले बेहतर स्थिति में है? यदि नहीं तो यह जान लीजिए कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत यह करिश्मा कर रहा है, जिसका सारा श्रेय उनके नेतृत्व में पिछले साढ़े आठ वर्षों से देश में जारी रिफॉर्म (सुधार), ट्रांसफॉर्म (परिवर्तन) और परफॉर्म (प्रदर्शन) की गहन प्रक्रिया को जाता है। अब तो वैश्विक प्रबंधन परामर्शदाता फर्म मैकिंसे तक यह मानने लगा है कि न केवल वर्तमान दशक बल्कि यह पूरी सदी भारत की होगी। यह जानकर दुनिया भर की संस्थाओं का भारत में भरोसा बढ़ा है। समझा जाता है कि सशक्त लोकतंत्र, राजनीतिक स्थिरता और सतत सुधारों के चलते भारत, पूरी दुनिया के निवेशकों के लिए निवेश की एक आकर्षक मंजिल ब...

राष्ट्र की शान, खुशहाल किसान

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री भारत कृषि पालन देश के रूप में विख्यात रहा है। कृषि अपने में अकेला क्षेत्र नहीं है। इसमें पशुपालन और कुटीर उद्योग पूरक के रूप में शामिल होते हैं। तीनों में कभी कोई भी पक्ष कमजोर हुआ तो दूसरे उसकी भरपाई के विकल्प रहते थे। इनसे आय, स्वरोजगार और सुपोषण स्वाभाविक रूप से उपलब्ध रहता था। यही कारण था कि ब्रिटिश काल की शुरुआत तक भारत के सभी गांव आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर और स्वावलंबी थे। भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। अंग्रेजों ने भारत के आर्थिक शोषण की कार्ययोजना बनाई। फिर कुटीर उद्योगों को नष्ट किया। इसका मकसद था कि ब्रिटेन के उत्पाद को भारत में बेचना सम्भव हो सके। कृषि पर लगान में वृद्धि होती रही। इससे किसानों की आय कम हुई। ब्रिटिश शासक अपनी सरकारी मशीनरी और सेना का पूरा खर्च भारतीय संसाधनों से पूरा करने लगे। स्वतंत्रता के बाद कृषि पशुपालन और स्थानीय उद्योगों पर नए ...

फहराएं ‘तिरंगा’ तो यह रखें ख्याल

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- प्रभुनाथ शुक्ल राष्ट्रीय ध्वज हमारे गौरव और स्वाभिमान का प्रतीक है। दुनिया का कोई भी देश अपने राष्ट्रीय ध्वज को जान से भी अधिक सम्मान देता है। राष्ट्रीय ध्वज के सम्मान के लिए लाखों लोग बलिदान हो चुके हैं। भारत में राष्ट्रीय ध्वज विशेष अवसरों पर फहराया जाता है। बचपन में जब हम स्कूली शिक्षा ग्रहण कर रहे थे उस दौरान स्वाधीनता और गणतंत्र दिवस पर प्रभातफेरी निकाली जाती थी। उस दौरान स्कूली बच्चे हाथों में तिरंगा लेकर यह गीत गाया करते थे 'विजयी विश्व तिरंगा, प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा'। राष्ट्रीय ध्वज की परिकल्पना सबसे पहले पिंगली वेंकैया ने की थी। तीन रंगों का मतलबः हमारा राष्ट्रीय ध्वज तीन रंगों से बना है। सबसे ऊपर केसरिया रंग की पट्टी हमारी ताकत को दर्शाती है। सफेद रंग की पट्टी शांति और सत्य का प्रतीक है। सबसे नीचे हरे रंग की पट्टी विकास, उर्वरता और समृद्धि का द्योतक है। सफेद रंग की पट्ट...