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उद्धव ठाकरे के औरंगाबाद दौरे पर राजनीति गरमाई

उद्धव ठाकरे के औरंगाबाद दौरे पर राजनीति गरमाई

देश, राजनीति
मुंबई। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के औरंगाबाद दौरे (Aurangabad tour) को लेकर राजनीति गरमा गई है। राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटिल (Radhakrishna Vikhe Patil) और पूर्व विधान परिषद के नेता प्रतिपक्ष प्रवीण दरेकर (Praveen Darekar) ने उद्धव ठाकरे के इस दौरे को नौटंकी बताया है। राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि जो व्यक्ति ढ़ाई साल तक अपने घर से बाहर नहीं निकला, सत्ता जाने के बाद अचानक दौरा करने लगा। विखे पाटिल ने कहा कि राज्य सरकार भारी बारिश से प्रभावित किसानों के नुकसान का सर्वे करवा रही है, जल्द किसानों को मदद की जाएगी। प्रवीण दरेकर ने कहा कि जब उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने किसानों के लिए कितना काम किया। कभी मंत्रालय में न जाने वाले सत्ता जाने पर लोगों से मिलने के लिए मजबूर हो गए हैं। शिवसेना के अधिकांंश विधायकों के पार्टी से ज...

रेवड़ियां बांटने की राजनीति

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक हिंदी की एक कहावत है कि ‘अंधा बांटे रेवड़ी, अपने-अपने को देय।’ अपने नेताओं ने अपने आचरण से इस कहावत को यों बदल दिया है कि ‘अंधा बांटे रेवड़ी, सिर्फ खुद को ही देय।’ सिर्फ खुद को फायदा करने के लिए ही आजकल हमारे सत्तारूढ़ दल सरकारी रेवड़ियां बांटते रहते हैं। आजकल देश की लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां थोक वोट बटोरने के लालच में मतदाताओं को तरह-तरह की चीजें उपहार में बांटती रहती हैं। ये ऐसी चीजें हैं, जिनके बिना भी करोड़ों लोग आराम से गुजर-बसर कर सकते हैं। कई राज्य सरकारों ने अपनी महिला वोटरों को मुफ्त साड़ियां, सोने की चेन, बर्तन, मिक्स-ग्राइंडर और बच्चों को कंप्यूटर, पोशाक, भोजन आदि मुफ्त भेंट किए हैं। कई प्रदेश सरकारों ने मुफ्त साइकिलें भी भेंट में दी हैं। क्या ये सब चीजें जिंदा रहने के लिए बेहद जरूरी हैं? नहीं हैं, फिर भी इन्हें मुफ्त में इसीलिए बांटा जाता है कि सरकारों और ने...

भीम मीम की राजनीति और आतंकी पीएफआई का मिशन 2047

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- प्रवीण गुगनानी भीम मीम की राजनीति का षड़यंत्र भारत में शताधिक वर्षों से किया जा रहा है। जोगेंद्रनाथ मंडल, इस कुत्सित राजनीति का एक पठनीय व स्मरणीय अध्याय है। उसे दलित बंधुओं को अवश्य पढ़ना चाहिए। आज भी दलितों पर सर्वाधिक अत्याचार मुस्लिम समाज करता है। ये अत्याचार कई तरह के होते हैं। फिर यह समाज उनसे झूठी हमदर्दी जताता है। छोटी स्थिति के निर्धन, समाज से उपेक्षित दलित बंधु, मुस्लिमों के इस “फर्स्ट डामिनेट देन सिम्पेथिसाइज” के चक्र में सरलता से फंसते हैं। फिर प्रारंभ होता है डामिनेटेड दलित परिवारों को शेष हिंदू समाज के विरुद्ध भड़काने, उकसाने और दलितों को हिंसक गतिविधियों में लिप्त करवाकर उन्हें कानूनी चक्र में फंसाकर बर्बाद कर देने का अंतहीन अध्याय। इसी चक्र में दलितों का धर्मांतरण होता है और उनकी लड़कियों को लव जिहाद का शिकार भी बनाया जाता है। इसी क्रम में लव जिहाद के माध्यम से जनजातीय समाज...