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परिणाम तय है इसलिए मतदाता उदासीन

परिणाम तय है इसलिए मतदाता उदासीन

अवर्गीकृत
- सुरेन्द्र चतुर्वेदी अठारहवीं लोकसभा के पहले चरण के लिए 19 अप्रैल को मतदान हो गया। सभी 102 सीटों में से ज्यादातर में मतदान के प्रतिशत में कमी आई है। इससे यह माना जा रहा है कि मतदाताओं में चुनाव के प्रति वह उत्साह और उमंग नहीं था, जिसकी उम्मीद राजनीतिक दल विशेष रूप से भाजपा लगाए बैठी थी । तो क्या भाजपा को इससे निराश होने की जरूरत है ? या कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों को इसमें से किसी अप्रत्याशित परिणाम की उम्मीद रखनी चाहिए ? दोनों ही प्रश्नों का एक ही जवाब है, नहीं। यह सही है कि भारतीय जनता पार्टी को मोदी सरकार के कामकाज पर मतदाताओं की ओर से जोरदार समर्थन की उम्मीद थी और विपक्षी दलों को लगता था कि जनता महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर सड़क पर आ जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका एक ही मतलब है कि मतदाता ने परिवर्तन करने से ही इनकार कर दिया। हां, अब बहस सिर्फ इस बात पर हो सकती है कि भाजप...