Saturday, May 18"खबर जो असर करे"

Tag: Indian politics

जाति के इर्द-गिर्द घूमती भारतीय राजनीति

जाति के इर्द-गिर्द घूमती भारतीय राजनीति

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- अरुण कुमार दीक्षित भारतीय राजनीति में जाति की बड़ी अहमियत है। हालांकि अधिकांश महापुरुष जाति विहीन भारत के निर्माण के पक्ष में थे। वे जातिवाद को बेहद खतरनाक मानते थे और कई मौकों पर यह बात उन्होंने कही भी। जाति तोड़ो अभियानों में वे निरंतर जुटे रहे लेकिन जाति की जड़ों को हिला नहीं पाए। इसकी वजह यह रही कि उस समय जातियों का उभार तत्कालीन राजनीति कर रही थी। धीरे-धीरे यह जातीय उभार राजनीतिक गुटों, गिरोहों और वर्गों की शक्ल लेता गया और गांधी, लोहिया तथा अंबेडकर के सपने धराशायी हो गए। आज भारत की राजनीति में जाति सम्मेलनों की बहुलता बढ़ी है। वर्गों का आधिपत्य बढ़ा है । सभी जातियों-वर्गों के अपने नेता हैं । वह जातीय सम्मेलन करते हैं। सत्तारूढ़ दलों के नेता भी अपने स्तर पर जातीय उभार को मजबूती देते हैं। राजनीति दलों के बॉयलॉज की बात करें तो उसमें एक बात समान होती है कि राजनीतिक दल सर्व समाज के लिए ...
राजनीति में बदल रहे नैतिकता के मायने

राजनीति में बदल रहे नैतिकता के मायने

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- सुरेश हिन्दुस्थानी भारतीय राजनीति में ऐसे कई उदाहरण दिए जा सकते हैं, जो आज भी नैतिकता के आदर्श हैं। लेकिन आज की राजनीति को देखकर ऐसा लगने लगा है कि नैतिकता की राजनीति दूसरा तो अवश्य करें, पर जब स्वयं को नैतिकता की कसौटी पर परखने की बारी आए तब नैतिकता के मायने बदल दिए जाते हैं। भारतीय राजनीति में राजनेताओं पर आरोप लगने पर कई लोगों ने अपने पद को त्याग दिया था, जबकि दिल्ली के शराब घोटाला मामले में मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने भारतीय राजनीति को अलग राह पर ले जाने का उदाहरण पेश किया है। इस उदाहरण को आदर्श वादिता के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि केजरीवाल भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार किए गए हैं। यह एक मुख्यमंत्री पद पर रहने वाले व्यक्ति के लिए शोभनीय नहीं हैं। केजरीवाल स्वयं कहते थे कि वे राजनीति में भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए आए हैं, लेकिन अब जब उन पर ही सवाल उठ रहे...

लाड़ली बहना योजना भारतीय राजनीति में सामाजिक क्रांति : शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री ने की गोपालपुर को तहसील बनाने की घोषणा - 52 करोड़ से अधिक के निर्माण और विकास कार्यों का हुआ भूमि-पूजन और लोकार्पण भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि लाड़ली बहना योजना (Ladli Behna Yojana) भारतीय राजनीति (Indian Politics) में एक सामाजिक क्रांति (social revolution) है, जो बहनों की जिंदगी बदलने के साथ ही विकास के हर क्षेत्र में मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) को आगे ले जाएगी। उन्होंने मुख्यमंत्री की तरह नहीं बल्कि परिवार के सदस्य के रूप में सरकार चलाई है। "मैं भांजे-भांजियों का मामा होने के नाते स्वाभाविक रूप से बहनों का भाई हूँ और हमेशा बहनों को मजबूत बनाने के लिए कार्य करता रहता हूँ। बहनों को जरूरत पर निकट संबंधी सौ-दो सौ रुपए देने के लिए बहाने बनाते हैं, बहनों को बच्चों के सामने मजबूर होते देखा है। लाड़ली बहना योजना बन...
सेवा, सुशासन और विकास को समर्पित मोदी सरकार

सेवा, सुशासन और विकास को समर्पित मोदी सरकार

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- डॉ. सौरभ मालवीय भारतीय राजनीति में सबका साथ सबका विकास का नारा देकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारतीय राजनीति में अपनी विशेष पहचान बनाने में सफल रहे हैं। पार्टी की मजबूती की बात करें, तो नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनता पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर खड़ा करने में अद्भुत परिश्रम किया है। पूरे देश में सभी स्तर के चुनावों का संचालन करने में नरेंद्र मोदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उन्होंने भाजपा के पितृ पुरुषों की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए पार्टी का विस्तार किया तथा इसका जनाधार बढ़ाया। भारतीय जनता पार्टी आज देश में प्रथम स्थान की पार्टी है। साथ ही यह विश्व में सबसे अधिक सदस्यता वाली राजनीतिक पार्टी के रूप में जानी जाती है। मोदी सरकार ने अपने 9 साल के कार्यकाल में गौरवशाली भारत से आधुनिक भारत तक की यात्रा को मजबूती प्रदान की है। चरैवेति चरैवेति भाजपा का यात्रा मंत्र उल्लेखनीय है कि वर्ष 1984 मे...
रुपया कमजोर नहीं, मजबूत

रुपया कमजोर नहीं, मजबूत

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- योगिता पाठक भारतीय राजनीति में जब भी अर्थव्यवस्था की बात की जाती है, तो रुपये की कीमत की भी जोर-शोर के साथ चर्चा होती है। मौजूदा समय में राहुल गांधी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक और तेजस्वी यादव से लेकर ममता बनर्जी तक हर विपक्षी नेता एक सुर में रुपये के रिकॉर्ड स्तर तक कमजोर हो जाने की बात करते हुए इसे भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी विफलता के रूप में बताने में लगे हुए हैं। राजनीतिक लाभ के लिए विपक्षी नेता अगर सरकार को रुपये की कीमत पर घेरने की कोशिश कर रहे हैं, तो उनकी सियासी रणनीति के तहत ये स्वाभाविक भी है। इसमें कोई शक नहीं है कि डॉलर की तुलना में भारतीय मुद्रा रिकॉर्ड स्तर तक नीचे गिर गई है। लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सच ये भी है कि पिछले कुछ सालों के दौरान रुपये की कीमत में रिकॉर्ड मजबूती भी आई है। सुनने में यह बात विरोधाभासी जरूर लगती है, लेकिन सच्चाई यही है। मुद्रा बाजार में रुपया...