Sunday, May 19"खबर जो असर करे"

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दुनिया को समझना होगा ‘माता भूमि, पुत्रोह्म पृथिव्या:’ का निहितार्थ

दुनिया को समझना होगा ‘माता भूमि, पुत्रोह्म पृथिव्या:’ का निहितार्थ

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- कुल भूषण उपमन्यु आज प्लास्टिक, मिट्टी, पानी, और वायु का प्रदूषक बनता जा रहा है। जमीन पर पड़े हुए प्लास्टिक से धूप के कारण अपर्दन से टूटकर सूक्ष्म कण मिट्टी में मिल जाते हैं और मिट्टी के उपजाऊपन को नष्ट करने का काम करते हैं। पानी में मिल कर मछलियों के शरीर में पहुंच कर खाद्य शृंखला का भाग बन कर मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बन जाते हैं। जलाए जाने पर वायु में अनेक विषैली गैसें वायु मंडल में छोड़ते हैं जिससे वैश्विक तापमान वृद्धि के साथ-साथ मानव स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे पैदा हो रहे हैं। प्लास्टिक दैनिक जीवन का ऐसा भाग बन गया है कि इससे बचना बड़ी चुनौती बनता जा रहा है। प्लास्टिक का प्रयोग कम करना, पुनर्चक्रीकरण, और जो बच जाए उसको उत्तम धुआं रहित प्रज्वलन तकनीक से ताप विद्युत बनाने में प्रयोग किया जा सकता है। हालांकि इससे भी थोड़ा गैस उत्सर्जन तो होता है किन्तु जिस तरह शहरी कचरा डंपिंग...
लोकतंत्र में परिवारवादी परम्परा के निहितार्थ

लोकतंत्र में परिवारवादी परम्परा के निहितार्थ

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- गिरीश्वर मिश्र पीछे मुड़ कर देखें तो आधुनिक भारत में स्वतंत्रता संग्राम के चलते राजनीति का रिश्ता देश-सेवा और देश के लिए आत्मदान से जुड़ गया था। इस पृष्ठभूमि के अंतर्गत राजनीति में आने वाले आदमी में निजी हित स्वार्थ से ऊपर उठ कर समाज के लिए समर्पण का भाव प्रमुख था। 'सुराजी' ऐसे ही होते थे। वे अपना खोकर सबका हो जाने की तैयारी से राजनीति में आते थे। स्वतंत्रता मिलने के साथ सरकार में भागीदारी ने राजनीति का चरित्र और उसका चेहरा-मोहरा बदलना शुरू किया। देखते-देखते नेता नामक जीव की वेश-भूषा, रहन-सहन आदि में बदलाव शुरू हुआ और जीवन की राह तेजी से आभिजात्य की ओर मुड़ती गई। विधायक या सांसद राजपुरुष होने की ओर बढ़ने लगे। मंत्री होना राजसी ठाट-बाट का पर्याय सा हो गया। नेताओं का भी दरबार लगने लगा और वे प्रजा की सेवा से दूर होते चले गए। जनसेवक होने की जगह वे खुद अपने लिए जनसेवा कराने लगे। और अब इ...
हिंसक किसान आंदोलन के निहितार्थ

हिंसक किसान आंदोलन के निहितार्थ

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- आर.के. सिन्हा मरने -मारने के अंदाज में किसान एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं। चुनाव माहौल गरम होते ही वे दिल्ली को घेरने के इरादे पर डट जाते हैं। पंजाब से दिल्ली आ रहे किसान हरियाणा में पुलिस से जगह-जगह पर बिना किसी बात के भिड़ रहे हैं। किसानों का 'दिल्ली चलो' मार्च हिंसक हो रहा है और अराजकता पैदा कर रहा है। यह सारा देश दिन भर टेलीविजन पर देख रहा है। सरकार से बातचीत करके कोई हल निकालने को किसान नेता मानने को तैयार तक नहीं हैं। वे तो चाहते हैं कि उनकी हरेक मांग को सरकार मान जाए। याद रखें कि किसानों की कुछ मांगों को मानना लगभग असंभव सा है। किसान नेता कह रहे हैं कि उनके 24 लाख करोड़ रुपये के लोन माफ हो जाएं । सरकारें किसानों के बहुत सारे लोन समय-समय पर माफ करती भी रहती हैं। पर सारे लोन माफ करना नामुमकिन ही है। क्या पैसा पेड़ों में लगा है जिसे सरकार तोड़ कर किसानों को दे देगी? किसानों को ...
पूर्वोत्तर में कांग्रेस के ‘पराई’ होने के निहितार्थ

पूर्वोत्तर में कांग्रेस के ‘पराई’ होने के निहितार्थ

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- डॉ. रमेश ठाकुर सियासत अपने रंग-ढंग बदलती रहती है जिसकी पटकथा समय लिखता है, जो समय के साथ नहीं बदलता, समय उसे बदल देता है। समय की गति को समझने में कांग्रेस शायद गच्चा खा गई। पूर्वोत्तर से कांग्रेस का तकरीबन बोरिया-बिस्तर बंध चुका है। एक जमाना था, जब पूर्वोत्तर राज्यों में मुल्क के सबसे उम्रदराज सियासी दल ‘कांग्रेस’ का बोलबाला होता था। कांग्रेस के मुकाबले अन्य दल वहां बिल्कुल भी नहीं टिकते थे। चुनावी मौसम में सियासी लहर सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस की ही बहती थी। फिर, चुनाव चाहे पंचायती हो, या लोकसभा का, सभी में पार्टी की विजयी सुनिश्चित हुआ करती थी। लेकिन अब सियासी परिदृश्य पहले के मुकाबले एकदम जुदा है। अवाम ने पुरानी पटकथाओं को नकार दिया है। कांग्रेस के लिए वहां स्थिति अब ऐसी है कि सूफड़ा ही साफ हो गया है। हाल ही में मिजोरम विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आया, उसमें मात्र सिंगल सीट कांग्रेस को ...
विपक्षी एकता के निहितार्थ

विपक्षी एकता के निहितार्थ

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- सुरेश हिन्दुस्थानी राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ भी विश्वास के साथ नहीं कहा जा सकता। आज से कुछ ही दशक पूर्व जिस प्रकार से विपक्ष के राजनीतिक दल कांग्रेस को सत्ता से हटाने के लिए भरसक प्रयास करते थे, वैसे ही प्रयास आज भी हो रहे है। इस बार के प्रयासों में कांग्रेस और जुड़ गई है। विगत दो लोकसभा के चुनावों के परिणाम स्वरूप देश में जो राजनीतिक हालात बने हैं, उसमें स्वाभाविक रूप से विपक्ष अपनी जमीन को बचाने की कवायद करने की ओर चिंतन और मंथन करने लगा है। इसके लिए विपक्षी एकता के फिर से प्रयास भी होने लगे हैं। एकता के प्रयोग के लिए इस बार बिहार की भूमि को चुना है। इसलिए स्वाभाविक रूप से कहा जा सकता है कि इस प्रयास में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुखिया की भूमिका में होंगे। हालांकि नीतीश कुमार के बारे में राजनीतिक विश्लेषक यह खुले तौर से स्वीकार करने लगे हैं कि नीतीश कुमार अपनी स्वयं की ...
एनआईए के ‘ऑपरेशन ध्वस्त’ के निहितार्थ

एनआईए के ‘ऑपरेशन ध्वस्त’ के निहितार्थ

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- कमलेश पांडेय राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आतंक, तस्कर और गैंगस्टर के अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ को हतोत्साहित और नेस्तनाबूद करने के लिये 17 मई को नए सिरे से ऑपरेशन ध्वस्त को अंजाम दिया है। इसके लिए एनआईए और संबंधित राज्यों की पुलिस की जितनी प्रशंसा की जाए, वह कम है। इस बात में कोई दोराय नहीं कि ऐसे शातिर लोगों को राजनीतिक, प्रशासनिक और कारोबारी शह व संरक्षण भी हासिल होता है। इसलिए राष्ट्रहित में ऐसे असामाजिक तत्वों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई का होना काबिल-ए-तारीफ है। इसके लिए अधिकारीगण लोक प्रशंसा के पात्र हैं। आखिर यह कौन नहीं जानता कि देश में गैंगस्टर का नेतृत्व कर रहे कई अपराधी पाकिस्तान, कनाडा, मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों से अपनी अवैध गतिविधियों को संचालित कर रहे है। वहां से यह लोग भारत के जेलों में बंद अपराधियों के साथ मिलकर गंभीर अपराधों की साजिश रचने में लगे हुए हैं। इसका मकसद भारत...
योगी आदित्यनाथ की अयोध्या यात्रा के निहितार्थ

योगी आदित्यनाथ की अयोध्या यात्रा के निहितार्थ

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ नगर निगम चुनाव की दृष्टि से अनेक क्षेत्रों में जनसभा कर रहे हैं। वह स्थानीय मुद्दों के साथ ही प्रदेश मे विकास और कानून व्यवस्था का उल्लेख करते हैं। इस क्रम में उनकी अयोध्या यात्रा का व्यापक महत्व है। छह वर्ष पहले तक अयोध्या उदास और उपेक्षित थी। विदेशी आक्रांताओं ने यहां विध्वंस किया। आजादी के बाद अपने को सेक्युलर बताने वाली सरकारों को काशी, मथुरा और अयोध्या का नाम लेने में झिझक होती थी। यहां पर्यटन के अनुरूप विकास करने में संकोच होता था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और योगी आदित्यनाथ ने इस धारणा को बदल दिया। केवल अस्था ही नहीं तीर्थाटन और पर्यटन की दृष्टि से तीर्थ नगरों का विश्व स्तरीय विकास शुरू किया गया। योगी आदित्यनाथ द्वारा शुरू किए गए दीपोत्सव से अयोध्या की उदासी का अंधेरा छंटने लगा। सैकड़ों वर्षों की श्री रामलीला परम्...
बाइडन की यूक्रेन यात्रा के निहितार्थ

बाइडन की यूक्रेन यात्रा के निहितार्थ

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की यूक्रेन यात्रा ने सारी दुनिया को आश्चर्यचकित कर दिया है। वैसे पहले भी कई अमेरिकी राष्ट्रपति जैसे जाॅर्ज बुश, बराक ओबामा और डोनाल्ड ट्रंप अफगानिस्तान में गए हैं लेकिन उस समय तक इन देशों में अमेरिकी फौजों का वर्चस्व कायम हो चुका था लेकिन यूक्रेन में न तो अमेरिकी फौजें हैं और न ही वहां युद्ध बंद हुआ है। वहां अभी रूसी हमला जारी है। दोनों देशों के डेढ़ लाख से ज्यादा सैनिक मर चुके हैं। हजारों मकान ढह चुके हैं और लाखों लोग देश छोड़कर परदेश भागे चले जा रहे हैं। यूक्रेन फिर भी रूस के सामने डटा हुआ है। आत्मसमर्पण नहीं कर रहा है। इसका मूल कारण अमेरिका का यूक्रेन को खुला समर्थन है। अमेरिका के समर्थन का अर्थ यही नहीं है कि अमेरिका सिर्फ डाॅलर और हथियार यूक्रेन को दे रहा है, उसकी पहल पर यूरोप के 27 नाटो राष्ट्र भी यूक्रेन की रक्षा के लिए कमर कसे हुए ह...
सहमति से संबंधों पर नए नैरेटिव के निहितार्थ

सहमति से संबंधों पर नए नैरेटिव के निहितार्थ

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- डॉ. अजय खेमरिया देश में हर साल बाल विवाह होते हैं और इसे रोकने के लिए सख्त कानून भी बना हुआ। क्या बाल विवाह की संख्या को देखते हुए देश में बेटियों के विवाह की आयु 18 से घटाकर 16 कर दी जानी चाहिये? लेकिन सरकार तो विवाह की आयु अब बढ़ा कर 21 करने जा रही है ताकि देश की बेटियां शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से विवाह एवं परिवार के लिए तुलनात्मक रूप से उपयुक्त रहे। एक पक्ष लड़के और लड़कियों की आयु में एकरूपता का भी है क्योंकि अभी विवाह के लिए लड़के की आयु 21 साल निर्धारित है। इस कानून में एक देशज तत्व यह भी है कि हमारे यहां यौन संबन्धों के लिए आयु और सामाजिकी की वैधता भी विवाह संस्कार से सीधी और गहरी जुड़ी है। भारत के ज्ञात इतिहास से आज के चरम आधुनिक दौर तक लोक जीवन में तमाम बुराइयों के बावजूद यह कदापि स्वीकार नहीं किया गया है कि भारतीय परिवार पश्चिम की तरह 16 साल की आयु वाले अपने बच्चों को यौन...