Monday, May 13"खबर जो असर करे"

Tag: Holi

आपसी भाईचारे और सद्भावना का संदेश देती है होली

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- योगेश कुमार गोयल खुशी और उत्साह का प्रतीक रंगों का पर्व होली न केवल सभी को रंगों से खेलने का अवसर प्रदान करता है बल्कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में परिवार और दोस्तों के साथ कुछ पल सुकून के साथ बिताने का समय भी प्रदान करता है। हमारे प्रत्येक त्योहार, व्रत, परम्परा और मान्यताओं में एक खास संदेश निहित है। होली भी हमारे जीवन में रंगीनियत भरते हुए उसे फिर से खुशियों से सराबोर करती है और खुलकर जीने का अहसास कराती है। यह पर्व आसुरी शक्तियों पर देवत्व की विजय का प्रतीक पर्व है, जो हमें नकारात्मकता को छोड़ सकारात्मकता को अपनाते हुए उसके संग उत्सव मनाने का संदेश देता है। गिले-शिकवे भुलाकर खुशियां बांटने का पर्व है होली, इसलिए संबंधों को मजबूत बनाने और यदि किसी भी प्रकार की कड़वाहट चल रही है तो यह पर्व उसे भी भुलाकर पास आने का बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। जीवन में खुशियों के रंग घोलता होली का त्योह...

सामाजिक समरसता का उत्सव

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- गिरीश्वर मिश्र भारतीय पर्व और उत्सव अक्सर प्रकृति के जीवन क्रम से जुड़े होते हैं। ऋतुओं के आने-जाने के साथ ही वे भी उपस्थित होते रहते हैं। इसलिए भारत का लोकमानस उसके साथ विलक्षण संगति बिठाता चलता है जिसकी झलक गीत, नृत्य और संगीत की लोक-कलाओं और रीति-रिवाजों सबमें दिखती है। साझे की ज़िंदगी में आनंद की तलाश करने वाले समाज में ऐसा होना स्वाभाविक भी है। हमारा मूल स्वभाव तो यही सुझाता है कि हम प्रकृति में अवस्थित हैं और प्रकृति हममें स्पंदित है। थोड़ा विचार करें तो यह स्पष्ट हो जाता है कि हमारा अनोखा उपहार, क्योंकि सारी तकनीकी प्रगति के बावजूद अभी तक जीवन का कोई विकल्प नहीं मिल सका है। यह अलग बात है कि प्रकृति या दूसरे आदमियों के साथ रिश्तों को लेकर कृतज्ञता का भाव अब दुर्लभ होता जा रहा है। फागुन के महीने की पूर्णिमा से यह उत्सव पूरे भारत में शुरू होता है और बड़े उल्लास के साथ मनाया जात...

होली सबकी प्रीति, राष्ट्र की रीति

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- हृदयनारायण दीक्षित प्रकृति नित्य नूतन है। चिरन्तन और आनंदरस से परिपूर्ण। इसके अन्तःपुर में आनंदरस का महास्रोत है। भारतीय चिन्तन में इस स्रोत का नाम है-उत्स। उत्सव इसी आनंद रस का आपूरण है। यूरोप और अमेरिकी समाजों के उत्सव बाजार तय करता है और भारत के उत्सव तय करता है देश-काल। प्रकृति दर्शनीय है। नदियां हंसती नृत्य करती गति करती हैं। नदियों के तट पर उत्सव और नृत्य। काल सबका नियंता है। भारतीय उत्सवों में प्रकृति और मुहूर्त की जुगुलबन्दी है। होली भारत के मन का सामूहिक उल्लास है। द्यावा-अंतरिक्ष मदनरस, आनंदरस और प्रीतिरस का वातायन। होली वसंतोत्सवों का चरम है और वसन्त है प्रकृति का अपनी परिपूर्णता में खिलना। प्रकृति सदाबहार नायिका है। प्रकृति में नियमबद्धता है। वैदिक ऋषियों ने सृष्टि के इस संविधान को ऋत कहा, ग्रीष्म, वर्षा, शिशिर, हेमंत, पतझड़ और बसंत इसी ऋत के ऋतु-रूप हैं। वसंत परिपूर्ण प्रा...
कैसे मिली होली को अखिल भारतीय पहचान

कैसे मिली होली को अखिल भारतीय पहचान

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- आर.के. सिन्हा कोरोना के कारण दो-तीन सालों तक जनधड़कन के पर्व होली का रंग फीका सा पड़ने लगा था। होली मिलन समारोहों पर भी विराम सा लग गया था। पर इस बार लगता है कि देश रंगोत्सव को पुराने अंदाज में मनाने जा रहा है। होली के रंग फिजाओं में बिखरे हैं। कहीं गुलाल और गुजिया की खुशबू को तो कहीं दही बड़ा और मालपुआ के अनोखे स्वाद को हर तरफ महसूस किया जा रहा है। होली मिलन समारोहों की भी वापसी हो चुकी है। इनके आयोजन लखनऊ से रायपुर, मुम्बई तथा पटना से दिल्ली वगैरह में सभी जगह हो रहे हैं। सब एक-दूसरे से गले मिल रहे हैं। गिले-शिकवे भुलाए जा रहे हैं। यही मौका है कि जब विभिन्न दलों के तमाम राजनीतिक नेता भी अपने मतभेद भुलाकर एक साथ होली खेलें और राष्ट्र निर्माण में लग जाएं। आखिर यह देश तो सबका है। राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी भी सबकी ही है। एक दौर था जब होली पर अटल बिहारी वाजपेयी के आवास पर भव्य होली मिलन क...
समाजिक समरसता और सद्भाव का उत्सव है होली

समाजिक समरसता और सद्भाव का उत्सव है होली

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- सुरेन्द्र किशोरी होली एक ऐसा उत्सव है जिसका नाम सुनते ही क्या बूढ़े, क्या बच्चे, क्या पुरुष क्या महिला, सबके मन में उमंग हिलोरे मारने लगती है। वसंत ऋतु के इस महत्वपूर्ण उत्सव में हर कोई एक दूसरे को रंग देना चाहता है। यह रंग सिर्फ बाहरी रंग नहीं, बल्कि मन के अंदर का भी रंग होता है। होली एक ऐसा उत्सव है जो बुराइयों को भस्म कर हंसी-खुशी का वातावरण बनाने का संदेश देता है। इसमें अमीर-गरीब, ऊंच-नीच, छोटे-बड़े जैसी सारी दूरियां सिमट जाती हैं, समरसता और सद्भाव का सुन्दर वातावरण विनिर्मित होता है। यह मनोविनोद के सहारे मनोमालिन्य मिटाने का उत्सव है। यह आपस के मनमुटाव को भुलाकर एक-दूसरे के गले मिलने का पर्व और उत्सव है। होली शुचिता, स्वच्छता, समता, ममता, एकता का पर्व है। समय की मांग है कि आज प्रत्येक व्यक्ति होली का दर्शन समझे, कम से कम स्वयं गंदगी नहीं करने और गंदगी नहीं होने देने का संकल्प अपने...