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ईवीएम की आड़ में अपनी हार की पेशबंदी करने लगा विपक्ष

ईवीएम की आड़ में अपनी हार की पेशबंदी करने लगा विपक्ष

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- डॉ. आशीष वशिष्ठ मोदी विरोधी मोर्चा के नेता आजकल एक और कैंपेन कर रहे हैं। वो कह रहे हैं कि मोदी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की वजह से जीतते हैं। वैसे ईवीएम को गलत ठहराने वाला राग तो पुराना है। 17 अप्रैल को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में चुनाव प्रचार के दौरान दावा किया कि अगर ईवीएम से छेड़छाड़ न हो तो भाजपा 180 सीटों पर सिमट जाएगी। जो राजनीतिक दल और नेता पिछले पांच साल तक जमीन पर उतरे नहीं, आज जब उन्हें अपनी हार साफ तौर पर दिख रही है तो उन्होंने ईवीएम की हार में पेशबंदी शुरू कर दी है। आखिरकार अपनी गलतियों, कमियां और कमजोरियों का ठीकरा किसी के सिर तो फोड़ना ही है, ऐसे में बेजुबान ईवीएम से बेहतर विकल्प कोई दूसरा नहीं हो सकता। देश में आम चुनाव के पहले चरण की 102 लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को मतदान हो चुका है। करोड़ों देशवासियों ने उन्हीं ईवीएम का बटन...
मप्र विस चुनावः 76 फीसदी से अधिक हुआ मतदान, 2533 उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में कैद

मप्र विस चुनावः 76 फीसदी से अधिक हुआ मतदान, 2533 उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में कैद

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। मध्य प्रदेश में विधानसभा निर्वाचन 2023 (Madhya Pradesh Assembly Elections 2023) के अंतर्गत राज्य की सभी 230 विधानसभा सीटों (all 230 assembly seats) के लिए शुक्रवार को छिटपुट घटनाओं के बीच शांतिपूर्वक मतदान संपन्न (Voting ended peacefully) हुआ। इस दौरान 76 फीसदी से अधिक मतदाताओं (More than 76 percent voters) ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इसके साथ ही प्रदेश की सभी 230 सीटों के लिए चुनाव मैदान में अपनी किस्मत आजमा रहे 2533 उम्मीदवारों का भाग्य ईवीएम में कैद हो जाएगा। निर्वाचन कार्यालय द्वारा शुक्रवार देर रात करीब 10.30 बजे दी गई जानकारी के अनुसार, प्रदेशभर में 64,626 मतदान केन्द्रों पर सुबह 7.00 बजे से शाम 6.00 बजे तक शांतिपूर्ण मतदान हुआ। इस दौरान प्रदेश में कुल 76.22 फीसदी औसत मतदान हुआ है। इनमें आगरमालवा जिले में 88.03, अलीराजपुर में 60.10, अनूपपुर जिले में 77.03, अ...
अब ‘उन्हें’ शर्म आती है ईवीएम पर सवाल उठाने में

अब ‘उन्हें’ शर्म आती है ईवीएम पर सवाल उठाने में

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- सुरेश हिन्दुस्थानी दक्षिण भारत के राज्य कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को सत्ता मिल गई। इससे निश्चित ही कांग्रेस को डूबते को तिनके का सहारा मिल गया है। हालांकि कर्नाटक में सत्ता के शिखर पर पहुंचने के लिए चार दिन तक चले सत्ता के संग्राम में बाजी पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के हाथ लगी है। राजनीतिक दृष्टि से अध्ययन किया जाए तो यही कहा जाएगा कि कर्नाटक में कांग्रेस की विजय अप्रत्याशित नहीं है, क्योंकि यह कर्नाटक का लंबे समय से राजनीतिक इतिहास रहा है कि वहां कोई भी सरकार पुन: पदासीन नहीं हुई है, इसलिए कांग्रेस की इस जीत को परंपरावादी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं कही जाएगी। इसके बाद भी पूरे देश में सिमटती जा रही कांग्रेस के नेताओं में उत्साह का संचार पैदा हुआ है। कुछ राजनीतिक विश्लेषक कांग्रेस की इस जीत को इस रूप में भी प्रस्तुत करने लगे हैं कि दक्षिण में कांग्रेस ने भाजप...