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यह सिर्फ चुनाव नहीं, राष्ट्रधर्म की स्थापना का सनातन यज्ञ भी है

यह सिर्फ चुनाव नहीं, राष्ट्रधर्म की स्थापना का सनातन यज्ञ भी है

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- संजय तिवारी लोकसभा 2024 का चुनाव वस्तुतः एक धर्मयुद्ध है। इसको बहुत संजीदगी से सभी को लड़ना ही होगा। राजनीतिक जय-पराजय अपनी जगह है किंतु देश को जीतना चाहिए। राष्ट्र विजयी हो, ऐसा संकल्प होना चाहिए। इसके लिए प्रतिज्ञा की नहीं केवल संकल्प की आवश्यकता है। प्रतिज्ञा में शक्ति नहीं होती। वह भीष्म बनाती है किंतु संकल्प शक्ति से भरी होती है। वह शिव बनाती है। शिव कल्याणकारी हैं। शिव से ही सत्य और सुंदर भी स्थापित हो पायेंगे। संकल्प और प्रतिज्ञा के बारे में श्रीमदभगवदगीता में भगवान कृष्ण ने बहुत सलीके से समझा दिया है। याद कीजिए कि जब जयद्रथ को मारने की प्रतिज्ञा अर्जुन कर लेते हैं कि सूर्यास्त तक नहीं मारा तो अग्नि समाधि ले लूंगा। आचार्य द्रोण कमलव्यूह के अंदर जयद्रथ को छुपा देते हैं जिसका आकर 32 कोस का था। जाहिर है वह उस तक कैसे पहुँचते ! जयद्रथ की सुरक्षा में बड़े बड़े वीर तैनात थे। भगवान...
मप्रः चार जिला पंचायत सदस्य के निर्वाचन का कार्यक्रम घोषित

मप्रः चार जिला पंचायत सदस्य के निर्वाचन का कार्यक्रम घोषित

देश, मध्य प्रदेश
भोपाल (Bhopal)। राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) द्वारा जिला जबलपुर, अशोक नगर, सीहोर एवं खंडवा के रिक्त जिला पंचायत सदस्यों (vacant district panchayat members) के निर्वाचन का कार्यक्रम घोषित (Election schedule announced) कर दिया गया है। कुल चार जिला पंचायत सदस्यों का निर्वाचन होना है। यह जानकारी शुक्रवार को राज्य निर्वाचन आयोग के सचिव, अभिषेक सिंह ने दी। उन्होंने बताया कि निर्वाचन की सूचना का प्रकाशन और नाम निर्देशन पत्र प्राप्त करने का कार्य 30 दिसंबर 2023 से शुरू होगा। नाम निर्देशन पत्र प्राप्त करने की अंतिम तारीख 6 जनवरी 2024 है। नाम निर्देशन पत्रों की जांच 8 जनवरी को होगी। अभ्यर्थिता से नाम वापस लेने की अंतिम तारीख 10 जनवरी 2024 है। मतदान 22 जनवरी को सुबह 7 से अपरान्ह 3 बजे तक होगा। मतगणना 25 जनवरी को विकासखंड मुख्यालय पर और परिणाम की घोषणा 27 जनवरी को जिला मुख्यालय प...
चुनावी पिटारा कितना सहारा !

चुनावी पिटारा कितना सहारा !

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- गिरीश्वर मिश्र चुनाव को लोकतंत्र का पवित्र महोत्सव कहा जाता है । अब इसकी संस्कृति का पूरी तरह से कायाकल्प हो गया है । चुनाव आने के थोड़े दिन पहले गहमा-गहमी तेज होती है और अंतिम कुछ दिनों में हाईकमान अपने कंडिडेट का ऐलान करता है । साथ ही भूली बिसरी जनता की सुधि आती है। चुनाव आते ही सभी राजनीतिक दल अपना-अपना जादू का पिटारा खोलते है और उनकी सोई हुई जन-संवेदना जागती है । आहत जनता को राहत देने के लिए कमर कसते हुए सभी दल सुविधाओं की फेहरिस्त तैयार करने में जुट जाते हैं । रेल , सड़क , स्कूल , अस्पताल , नौकरी , कर्ज यानी जीने के लिए जो भी चाहिए उस सूची में शामिल किया जाता है । चुनावी राज्यों में पुलिस द्वारा करोड़ों रुपयों की जब्ती और शराब की आवाजाही आम बात हो गई है जिनका कोई दावेदार नहीं मिलता । यह सब इसलिए होता है ताकि जनता को अधिकाधिक मात्रा में लुभाया जा सके । जन-प्रलोभनों की यह अजीबोगरीब...
मध्य प्रदेश में नहीं दिखा चुनावी माहौल

मध्य प्रदेश में नहीं दिखा चुनावी माहौल

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- ऋतुपर्ण दवे पहले नवरात्रि फिर दशहरा अब धनतेरस, दिवाली, गोवर्धनपूजा, भाई दूज और तुरंत बाद थमता प्रचार। मध्यप्रदेश में इस बार लगभग आधी से ज्यादा सीटों पर विधानसभा चुनाव जैसा कुछ लगा नहीं। बीच में खामोशी को चीरते एकाध प्रचार वाहन में लगे लाउडस्पीकर से प्रत्याशी के समर्थन में रिकॉर्डेड गीत व अपील क्या पता कितना असर डाल पाए? इस बार वाकई में विधानसभा चुनाव बिल्कुल कोलाहल विहीन रहा। नामांकन भरने से लेकर नाम वापसी तक जरूर थोड़ी सक्रियता दिखी लेकिन बाद में यह सक्रियता सिवाय बड़े नगरों के गांव-गांव, डगर-डगर नहीं दिखी। इसका मतलब यह नहीं कि मतदाता खामोश है। हवा का रुख भांपने वाले राजनीतिक पण्डित भी इस बार अलग ही दिखे। बावजूद इसके न तो भाजपा और न ही कांग्रेस यह मानने को तैयार नहीं कि सत्ता के सिंहासन में वह पीछे है। कौन जीतेगा, कौन हारेगा इसे लेकर प्रत्याशी चयन का सर्वे कहां हुआ किसने किया, किससे ...
डब्लूएचओ-दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय निदेशक चुनाव: भारत किसे चुनेगा- नेपाल या बांग्लादेश

डब्लूएचओ-दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय निदेशक चुनाव: भारत किसे चुनेगा- नेपाल या बांग्लादेश

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- संजीव इस बार विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्रीय निदेशक का चुनाव दिलचस्प होने जा रहा है। चुनाव में भारतीय उम्मीदवार नहीं होने के बावजूद भारत की भूमिका निर्णायक मानी जा रही है। भारत के सामने धर्मसंकट यह है कि इस पद के दोनों उम्मीदवार भारत के करीबी मित्र देश क्रमशः बांग्लादेश और नेपाल से हैं। ऐसे में भारत के लिए कोई फैसला करना आसान नहीं होगा। भारतीय मूल की पूनम खेत्रपाल सिंह इस समय डब्लूएचओ के दक्षिण-पूर्व एशिया (एसईएआरओ) की क्षेत्रीय निदेशक हैं, जो 2014 से इस पद पर हैं। वे इस पद को संभालने वाली पहली महिला हैं। 2018 में उन्हें सर्वसम्मति से दूसरे कार्यकाल के लिए चुना गया था। पांच साल के कार्यकाल वाले इस पद के चुनाव के लिए दिल्ली में 30 अक्टूबर से 2 नवंबर को बंद कमरे में सदस्य देशों की बैठक होगी। इसमें भारत सहित 11 देश बांग्लादेश, भूटान, उत्तर कोरिया, इंडोनेशि...
मैनपुरी ने दी मुलायम को श्रद्धांजलि

मैनपुरी ने दी मुलायम को श्रद्धांजलि

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक वर्तमान चुनावों में तीनों पार्टियां एक-एक जगह से जीत गईं लेकिन दो-दो जगह से हार गईं। इन मुख्य चुनावों के अलावा कुछ उपचुनाव भी अलग-अलग प्रांतों में हुए। उनमें सबसे ज्यादा चर्चित रहा मैनपुरी से डिंपल यादव का चुनाव लोकसभा के लिए। डिंपल अखिलेश यादव की पत्नी और मुलायम सिंह की बहू हैं। वे लगभग 3 लाख वोटों से जीती हैं। उन्होंने भाजपा के उम्मीदवार को हराया है लेकिन भाजपा का एक उम्मीदवार रामपुर से जीत गया है, यह भी भाजपा की उल्लेखनीय उपलब्धि है। डिंपल को हराने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। डिंपल के खिलाफ ऐसे उम्मीदवार को खड़ा किया था, जो पहले सपा का नामी-गिरामी नेता रहा था। इसके अलावा मुलायम सिंह पिछले चुनाव में सिर्फ 94 हजार वोट से जीते थे जबकि बहुजन समाज पार्टी उनके साथ थी। इस बार अखिलेश यादव ने डिंपल को अपने दम पर लड़ाकर जितवाया है। यह एक उम्मीदवार की मामूली जी...
चुनाव आयुक्त का चुनाव कैसे हो?

चुनाव आयुक्त का चुनाव कैसे हो?

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- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और किसी भी लोकतंत्र की श्वास-नली होती है चुनाव। उसमें होनेवाले लोक प्रतिनिधियों के चुनाव निष्पक्ष हो, यह उसकी पहली शर्त है। इसीलिए भारत में स्थायी चुनाव आयोग बना हुआ है। लेकिन जब से चुनाव आयोग बना है, उसके मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य आयुक्तों की नियुक्ति पूरी तरह से सरकार के हाथ में है। हमारे चुनाव आयोग ने सरकारी पार्टियों के खिलाफ भी कई बार कार्रवाई की है लेकिन माना यही जाता है कि हर सरकार अपने मनपसंद नौकरशाह को ही इस पद पर नियुक्त करना चाहती है ताकि वह लाख निष्पक्ष दिखे लेकिन मूलतः वह सत्तारूढ़ दल की हित-रक्षा करता रहे। इसी आधार पर सुप्रीम कोर्ट में अरुण गोयल की ताजातरीन नियुक्ति के विरुद्ध बहस चल रही है। गोयल 17 नवंबर तक केंद्र सरकार के सचिव के तौर पर काम कर रहे थे, लेकिन उन्हें 18 नवंबर को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दी गई और 19 नवंब...