Friday, May 17"खबर जो असर करे"

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भारतीय नृत्य संस्कृति की संसार ने हमेशा सराहना की

भारतीय नृत्य संस्कृति की संसार ने हमेशा सराहना की

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- डॉ. रमेश ठाकुर नृत्य दुनिया भर की संस्कृतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। नृत्य एक कला भी है और शिक्षा भी। मानव शरीर को स्वस्थ रखने की साधना भी। आज ‘अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस’ है जिसकी शुरुआत 29 अप्रैल 1982 से हुई थी। आज का ये खास दिन नृत्य कला के महान सुधारक जीन-जॉर्जेस नोवरे की जन्म स्मृति पर आधारित है। जहां तक भारतीय नृत्यों की बात है, दुनिया भर में हमेशा से मशहूर रहे हैं। भरतनाट्यम और कथक नृत्य का आज भी कोई जवाब नहीं। इंग्लैंड की महारानी हों, या पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो से लेकर कई देशों के प्रमुखों का पसंदीदा कथक नृत्य ही रहा। कथक नृत्य की वेशभूषा आज भी लोगों को आकर्षित करती है। आज का ये विशेष दिन यूनेस्को के अंतरराष्ट्रीय थिएटर इंस्टीट्यूट की अंतरराष्ट्रीय डांस कमेटी ने 29 अप्रैल को नृत्य दिवस के रूप में सर्वसम्मति से मनाने का निर्णय लिया था। वर्ष-2023 में ‘अं...
देश में समरसता का माहौल

देश में समरसता का माहौल

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- बृजनन्दन राजू भारत की संस्कृति राममय है। राम राष्ट्रनायक हैं। भारत के जीवन दर्शन में सर्वत्र राम समाये हुए हैं। भारत की आस्था, भारत का मन, भारत का विचार, भारत का दर्शन, भारत का चिंतन, भारत का विधान राम से है। भारत का प्रताप, प्रभाव व प्रवाह भी राम हैं। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से राम की सर्वव्यापकता के दर्शन हुए। भारत के नगर, ग्राम, गिरी और कंदराओं से लेकर दुनिया के 125 देशों में रहने वाले हिन्दुओं ने उत्सव मनाया। युवाओं के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से बढ़कर कोई आदर्श नहीं हो सकता। राम ने अपने जीवन का स्वर्णिम समय 'तरुणाई' को राष्ट्र के काम में लगाया। राम का सारा जीवन प्रेरणा से भरा है। राम की राजमहल से जंगल तक की यात्रा को देखें तो कठिनतम परिस्थितियों में भी वह अविचल रहे। उन्होंने समाज में सब प्रकार का आदर्श स्थापित किया। आदर्श भाई,आदर्श मित्र,आज्ञाकारी पुत्र, आज्ञाकार...
चुनावी पिटारा कितना सहारा !

चुनावी पिटारा कितना सहारा !

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- गिरीश्वर मिश्र चुनाव को लोकतंत्र का पवित्र महोत्सव कहा जाता है । अब इसकी संस्कृति का पूरी तरह से कायाकल्प हो गया है । चुनाव आने के थोड़े दिन पहले गहमा-गहमी तेज होती है और अंतिम कुछ दिनों में हाईकमान अपने कंडिडेट का ऐलान करता है । साथ ही भूली बिसरी जनता की सुधि आती है। चुनाव आते ही सभी राजनीतिक दल अपना-अपना जादू का पिटारा खोलते है और उनकी सोई हुई जन-संवेदना जागती है । आहत जनता को राहत देने के लिए कमर कसते हुए सभी दल सुविधाओं की फेहरिस्त तैयार करने में जुट जाते हैं । रेल , सड़क , स्कूल , अस्पताल , नौकरी , कर्ज यानी जीने के लिए जो भी चाहिए उस सूची में शामिल किया जाता है । चुनावी राज्यों में पुलिस द्वारा करोड़ों रुपयों की जब्ती और शराब की आवाजाही आम बात हो गई है जिनका कोई दावेदार नहीं मिलता । यह सब इसलिए होता है ताकि जनता को अधिकाधिक मात्रा में लुभाया जा सके । जन-प्रलोभनों की यह अजीबोगरीब...
मध्य प्रदेश: संस्कार, संस्कृति, साहित्य में उन्मेष और उत्कर्ष

मध्य प्रदेश: संस्कार, संस्कृति, साहित्य में उन्मेष और उत्कर्ष

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- डॉ. मयंक चतुर्वेदी भारत अपने गौरवशाली ''स्व'' को जानने के नए संदर्भों में 75 वर्ष का उत्सव मना रहा है। हिमालयी क्षेत्र से आरंभ हुआ ''उन्मेष'' देश के हृदय प्रदेश आ पहुंचा है। 'उन्मेष' का यह दूसरा संस्करण है। पहला आयोजन शिमला में गत वर्ष हुआ ही है। आप पूछ सकते हैं आखिर ये उन्मेष है क्या? वस्तुत: धरती पर सूर्य की पहली किरण पड़ते ही जगत जाग उठता है। जागना अर्थात अंतस की जागृति, क्रिया के रूप में जागना और विचारों में जाग जाना है। आप जब जागे रहते हैं तो आपके बाहर से लेकर अंदर तक सभी कुछ सचेत होता है। आप हर क्रिया की प्रतिक्रिया देने में सक्षम रहते हैं। इसी जागने को संस्कृत में 'उन्मेष' कहा गया। जीवन में 'उन्मेष' आ जाए तो फिर किसी और की आवश्यकता नहीं रहती । यह 'उन्मेष' जीवन से जुड़ी हर जरूरत को पूरा करने में सक्षम है। जैसे कि जो जागा हुआ है, फिर उसे किस का भय ! स्वभाविक है जो जागा हुआ है, 'उत...
नई शिक्षा नीति और सीखने-सिखाने की संस्कृति का विकास

नई शिक्षा नीति और सीखने-सिखाने की संस्कृति का विकास

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- गिरीश्वर मिश्र कहा जाता है धरती पर ज्ञान जैसी कोई दूसरी पवित्र वस्तु नहीं है। भारत में प्राचीनकाल से ही न केवल ज्ञान की महिमा गाई जाती रही है बल्कि उसकी साधना भी होती आ रही है। इस बात का असंदिग्ध प्रमाण देती है काल के क्रूर थपेड़ों के बावजूद अभी भी शेष बची विशाल ज्ञान राशि। अनेकानेक ग्रंथों तथा पांडुलिपियों में उपस्थित यह विपुल सामग्री भारत की वाचिक परम्परा की अनूठी उपलब्धि के रूप में वैश्विक स्तर पर अतुलनीय और आश्चर्यकारी है। यह हमारे लिए सचमुच गौरव का विषय है कि आज जैसी उन्नत संचार तकनीकी के अभाव में भी मानव स्मृति में भाषा के कोड में संरक्षित होकर यह सब जीवित रह सका। इस परम्परा में मनुष्य के जीवन में होने वाले आरम्भ में विकास और उत्तर काल में ह्रास की अकाट्य सच्चाई को स्वीकार करते हुए मनुष्य को जीने के लिए तैयार करने की व्यवस्था की गई थी। ज्ञान केंद्रित भारतीय संस्कृति के अंतर्गत अभ...
राष्ट्रपति की सूरीनाम यात्रा का महत्व

राष्ट्रपति की सूरीनाम यात्रा का महत्व

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- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सूरीनाम यात्रा का संदेश अनेक देशों तक विस्तृत रहा। इनमें वह देश शामिल हैं, जहां बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग विगत छह पीढ़ियों से निवास कर रहे हैं। उन्होंने अपनी सभ्यता संस्कृति को कायम रखा है। मॉरीशस की तरह सूरीनाम में भी प्रवासी दिवस मनाया जाता है। मॉरिशस की राजधानी पोर्ट लुइस के अस्थाई निवास को अप्रवासी घाट कहा जाता है। प्रत्येक दो नवम्बर को अप्रवासी दिवस मनाया जाता है। सूरीनाम का प्रवासी दिवस पांच जून को मनाया जाता है। द्रौपदी मुर्मू इस समारोह की मुख्य अतिथि थीं। उनको सूरीनाम के सर्वोच्च सम्मान से सम्मानित किया गया। इस वर्ष जनवरी में सूरीनाम के राष्ट्रपति चंद्रिकाप्रसाद संतोखी भारत यात्रा आए थे। उन्होंने भारत को कैरेबियाई देशों में हिन्दी सिखाने वाले संस्थान खोलने का सुझाव दिया था। उन्होंने कैरेबियाई क्षेत्र में फिल्म, योग, आयु...
समलैंगिक विवाह और भारतीय मान्यता

समलैंगिक विवाह और भारतीय मान्यता

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- डॉ. पुनीत कुमार द्विवेदी समलैंगिकता का मुद्दा सदियों से भारत में विवादास्पद रहा है। समाज ने पारंपरिक रूप से विषम लैंगिकता को सामाजिक निर्माण के रूप में बरकरार रखा है। समाज ने इसके किसी भी विचलन को अस्वीकार्य माना है। इस संबंध में उभरी सबसे हालिया बहसों में से एक यह है कि क्या भारत में समलैंगिक विवाह की अनुमति दी जानी चाहिए या नहीं। संस्कृति प्रधान देश में समलैंगिक विवाह को सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं के दृष्टिकोण से अभिशाप या सामाजिक विकृति के रूप में माना जाता है। यह मामला इस समय उच्चतम न्यायालय में गूंज रहा है। सांस्कृतिक दृष्टिकोणः भारतीय संस्कृति में धार्मिक, आध्यात्मिक और नैतिक मान्यताएं गहराई से निहित हैं। हमारे यहां विवाह संस्था को पवित्र माना जाता है। इसे एक पुरुष और एक महिला के बीच पवित्र बंधन के रूप में देखा जाता है। जो भी इस मानदंड से विचलित होता है उसे अप्राकृत...
युवा पीढ़ी संस्कृति, वेशभूषा और परिश्रम की परम्परा को न भूलें, राष्ट्रभक्तों से प्रेरणा ग्रहण करें : शिवराज

युवा पीढ़ी संस्कृति, वेशभूषा और परिश्रम की परम्परा को न भूलें, राष्ट्रभक्तों से प्रेरणा ग्रहण करें : शिवराज

देश, मध्य प्रदेश
- मुख्यमंत्री ने सिंधी समाज के हित में की महत्वपूर्ण घोषणाएं भोपाल (Bhopal)। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Chief Minister Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि अमर शहीद हेमू कालानी (Amar Shaheed Hemu Kalani) ने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए अपने जीवन का बलिदान किया। उन्होंने गले में फांसी का फंदा पहनते हुए कहा था कि मैं फिर से जन्म लूंगा और भारत को स्वतंत्र करवाऊंगा। आज यदि हम शहीदों को नहीं पूजेंगे, तो राष्ट्र के लिए जीवन का बलिदान करने के लिए कोई आगे नहीं आएगा। नई पीढ़ी (new generation) के लिए शहीदों का जीवन प्रेरक है। वीर सेनानियों के साथ ही सिंध संतों की भूमि रही है। सिंधु नदी के किनारे वेदों की ऋचाएँ रची गईं। सिंध की संस्कृति काफी प्राचीन है। इस समाज ने अनेक समाज-सुधारक, सफल उद्यमी और अन्य प्रतिभाएं देने का कार्य किया है। अपने धर्म, संस्कृति और सभ्यता के लिए मातृ-भूमि को छोड़ने के बाद भी प...
शिक्षा के साथ संस्कृति, संस्कार और धर्म जुड़ा है : कैलाश सत्यार्थी

शिक्षा के साथ संस्कृति, संस्कार और धर्म जुड़ा है : कैलाश सत्यार्थी

दिल्ली, देश
नई दिल्ली के पूसा सभागार में ज्ञानोत्सव का शुभारंभ नई दिल्ली। ज्ञानोत्सव ज्ञान का उत्सव ही नहीं, यह ज्ञान का यज्ञ है। सात्विक उद्देश्य से किए जाने वाले यज्ञ में सर्वश्रेष्ठ की आहुति देनी होती है। इस ज्ञानोत्सव में आने वाले साधारण कार्यकर्ता नहीं बल्कि आप भारत के निर्माता हैं। भारतीयता मेरी माँ के स्तन से निकले दूध के समान है। स्तन से निकला दूध रक्त का संचार करता है। भारतीय शिक्षा समावेशिता की यात्रा करती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मूल में सार्वभौमिकता, समता और समग्रता है। विद्या हमारे धर्म का लक्षण हैं। आप सभी श्रेष्ठ भारत के निर्माण में शिक्षा के क्रियान्वयन में भागीदार बने ऐसी आशा करता हूँ। यह उद्गार शिक्षा संस्कृति उत्थान द्वारा गुरुवार को आयोजित तीन दिवसीय ज्ञानोत्सव के शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप मे नोबेल पुरस्कार से सम्मानित कैलाश सत्यार्थी ने व्यक्त किए। नई दिल्ली के ...