
अमेरिका और चीन के बीच तनाव से निवेशकों की भारत पर निगाहें
- ललित मोहन बंसल
चीन ने घरेलू जरूरतों की पूर्ति के बावजूद अंतरराष्ट्रीय पर एक सुदृढ़ सप्लाई लाइन से वैश्विक मुद्रा अमेरिकी डालर में कमाई की है। आज वह सूई से लेकर ड्रोन और मिसाइल तक निर्यात करने की क्षमता रखता है। चीन के सम्मुख आज दिक्कत यह है कि कोविड की मार से विश्व इकॉनमी में शिथिलता आ गई है। रही सही कसर अमेरिका ने पूरी कर दी है। अमेरिका और चीन के बीच शीत युद्ध के कारण ट्रम्प प्रशासन ने चीन के आयातित माल पर कंट्रोल और टैरिफ में वृद्धि की थी, उसे बाइडन प्रशासन भी कम करने के मूड में नहीं है। इससे चीन के कल कारखाने बंद हो रहे हैं, बेरोजगारी चरम सीमा पर है और अमेरिकी निवेशकों की निगाहें भारत सहित पड़ोसी देशों पर लगी हैं।
भारत और चीन के बीच व्यापार बढ़ा है। इसमें भारत को पिछले वर्ष एक सौ अरब डालर की चपत लगी है तो अमेरिका ने चीन से आयात में कटौती कर उसे करीब ढाई सौ अरब डालर सालाना की चपत दे ...