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धर्मांतरण से उबलता जनजातीय समाज

धर्मांतरण से उबलता जनजातीय समाज

अवर्गीकृत
- प्रवीण गुगनानी छत्तीसगढ़ का बस्तर संभाग विशेषतः नारायणपुर जिला पुनः अस्थिर, अशांत और अनमना सा है। सदा की तरह कारण वही है- धर्मांतरण। वैसे तो समूचा छत्तीसगढ़ ही धर्मांतरण और मसीही आतंक से पीड़ित है। बस्तर संभाग में यह दंश कुछ अधिक है। सदा की तरह कारण स्थानीय जनजातीय समाज की परम्पराओं, मान्यताओं, पूजा परंपरा, देव परंपरा आदि आदि पर हमला। छत्तीसगढ़ के जनजातीय समाज पर सतत हो रहे हमले और उनके धर्मांतरण को लेकर दो छत्तीसगढ़ी लोकोक्तियां ध्यान आती हैं-खाँड़ा गिरै कोंहड़ा माँ, त कोंहड़ा जाय। -- कोंहड़ा गिरै खाँड़ा माँ, त कोंहड़ा जाय। अर्थात कुल्हाड़ी गिरे कुम्हड़े पर गिरे, या, तो कुम्हड़ा कुल्हाड़ी पर गिरे, कटता तो कुम्हड़ा ही है। छत्तीसगढ़ में जनजातीय समाज की स्थिति शत प्रतिशत कुम्हड़े के समान हो गई है और कुल्हाड़ी की भूमिका में है यहां बलात धर्मांतरण कराने वाला मसीही समाज और मसीही समाज की परम सहयोगी बघ...