Monday, May 13"खबर जो असर करे"

विदेश में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल होगा महंगा, 1 जुलाई से लगेगा 20% टैक्स

-डेबिट और क्रेडिट कार्ड में समानता लाने के लिए बदले फेमा नियम: वित्त मंत्रालय

नई दिल्ली (New Delhi)। विदेश में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल (Use of credit card abroad) करना आपकी जेब पर भारी (heavy on the pocket) पड़ने वाला है। इससे जुड़े नियम में बदलाव किया गया है। इस बदलाव के बाद अब आप दूसरे देशों (other countries) में क्रेडिट कार्ड से जो खर्च करेंगे, उस पर 20 फीसदी टैक्स कलेक्शन एट सोर्स (टीसीएस) (Paying 20% ​​Tax Collection at Source (TCS)) देना होगा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) की सलाह के बाद सरकार ने इन बदलावों को हरी झंडी दे दी है। नये नियम एक जुलाई से लागू होगा।

वित्त मंत्रालय ने गुरुवार को जारी बयान में कहा कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन (फेमा) संशोधन नियम, 2023 के माध्यम से क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेश में होने वाला खर्च भी आरबीआई की एलआरएस योजना में शामिल कर लिया गया है। इससे विदेश में खर्च की गई राशि पर लागू दरों पर ‘स्रोत पर कर संग्रह’ (टीसीएस) किया जा सकेगा। मंत्रालय के मुताबिक अगर टीसीएस देने वाला व्यक्ति करदाता है, तो वह अपने आयकर या अग्रिम कर देनदारियों के एवज में क्रेडिट या समायोजन का दावा कर सकता है।

मंत्रालय ने इस संदर्भ में एक अधिसूचना जारी कर फेमा कानून में संशोधन किए जाने की जानकारी दी थी। इस अधिसूचना में एलआरएस को शामिल करने के बाद 2.5 लाख रुपये से अधिक मूल्य की विदेशी मुद्रा के किसी भी धन-प्रेषण के लिए आरबीआई की मंजूरी लेनी जरूरी होगी। इस अधिसूचना के पहले तक विदेश यात्रा के दौरान खर्चों के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किए गए भुगतान एलआरएस के दायरे में नहीं आते थे। वित्त मंत्रालय ने आरबीआई के साथ परामर्श के बाद जारी अधिसूचना में फेमा अधिनियम, 2000 की धारा सात को हटा दिया है। इससे विदेश में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से किया गया भुगतान भी एलआरएस के दायरे में आ गया है।

उल्लेखनीय है कि इस साल केंद्रीय बजट 2023-24 में विदेशी टूर पैकेज एवं एलआरएस के तहत विदेश भेजे गए पैसे पर टीसीएस को पांच फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी करने का प्रस्ताव रखा गया था। वित्त मंत्रालय ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड से विदेश में होने वाला खर्च एलआरएस के दायरे में लाने के लिए फेमा कानून में बदलाव करने का मकसद डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड से भेजी गई राशि के कर संबंधी पहलुओं में समानता लाना है।