Thursday, May 1"खबर जो असर करे"

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संयुक्त परिवार में ही सुरक्षित है नौनिहालों का भविष्य

संयुक्त परिवार में ही सुरक्षित है नौनिहालों का भविष्य

अवर्गीकृत, देश
दो दिन पहले एक समाचार आया कि पुणे में रहने वाले एक 16 वर्ष के बच्चे ने ऑनलाइन गेमिंग के टास्क को पूरा करने के लिए 14वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा लॉग ऑफ। केवल इतना ही नहीं आत्महत्या के पहले बच्चे ने एक कागज पर पेंसिंल से उसके अपार्टमेंट और गैलरी से कूदने वाला टास्क बनाया। इसी पेपर में लॉगआउट भी लिखा है। बच्चे के कमरे से गेम की कोडिंग भाषा में लिखे कई कागज भी मिले हैं। बच्चे की मां के अनुसार वह दिन भर अपने कमरे में बंद रहकर गेम खेलता था। जिस दिन बच्चे ने ये कदम उठाया मां दूसरे बीमार बच्चे की देखरेख कर रही थी। पिता विदेश में कार्यरत हैं और मां भी कामकाजी है। अब प्रश्न ये उठता है कि ऐसे में हमारे बच्चे कैसे सुरक्षित रहेंगे? आपको ब्लू व्हेल गेम याद ही होगा। उसमें भी टास्क के जरिए खिलाड़ी को आत्महत्या के लिए मजबूर किया जाता था। वर्ष 2017 में ब...
एक श्वांस की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू?

एक श्वांस की कीमत तुम क्या जानो रमेश बाबू?

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डॉ. विकास दवे     आप कहेंगे एक अत्यंत गंभीर शब्द श्वांस के साथ रमेश बाबू जैसा फिल्मी संवाद जोड़कर में क्यों आखिर एक गंभीर विषय को हास्य का विषय बनाना चाहता हूं? किंतु अपना भ्रम दूर कर लीजिए यह संवाद भी किसी हास्य का विषय नहीं बल्कि अत्यंत गंभीर चिंता और उससे अधिक चिंतन का विषय है। यह संस्मरण लिखने का एकमात्र कारण यह कि अनेक वर्षों के बाद भी हम सब अपनी मानवीयता से ओतप्रोत ज्ञान परंपरा का गौरव करने के बाद भी पश्चिमी जगत से कुछ बातें अब तक नहीं सीख पाए। हां !! मैं मानता हूं कि हमारी ज्ञान परंपरा में अत्यंत समृद्ध जीवन विज्ञान भरा पड़ा है किंतु यदि उसको हमने अपने जीवन में अंगीकार नहीं किया तो पुरखों की संपूर्ण तपस्या धूल धूसरित होने में समय नहीं लगता। ऐसा ही एक महत्वपूर्ण विषय सीपीआर अर्थात कृत्रिम श्वांस देने का है। पश्चिमी जगत से ...
संयुक्त परिवार में ही सुरक्षित है नौनिहालों का भविष्य

संयुक्त परिवार में ही सुरक्षित है नौनिहालों का भविष्य

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- प्रियंका कौशल दो दिन पहले एक समाचार आया कि पुणे में रहने वाले एक 16 वर्ष के बच्चे ने ऑनलाइन गेमिंग के टास्क को पूरा करने के लिए 14वीं मंजिल से कूदकर जान दे दी। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा "लॉग ऑफ"। केवल इतना ही नहीं आत्महत्या के पहले बच्चे ने एक कागज पर पेंसिंल से उसके अपार्टमेंट और गैलरी से कूदने वाला टास्क बनाया। इसी पेपर में लॉगआउट भी लिखा है। बच्चे के कमरे से गेम की कोडिंग भाषा में लिखे कई कागज भी मिले हैं। बच्चे की मां के अनुसार वह दिन भर अपने कमरे में बंद रहकर गेम खेलता था। जिस दिन बच्चे ने ये कदम उठाया मां दूसरे बीमार बच्चे की देखरेख कर रही थी। पिता विदेश में कार्यरत हैं और मां भी कामकाजी है। अब प्रश्न ये उठता है कि ऐसे में हमारे बच्चे कैसे सुरक्षित रहेंगे? आपको ब्लू व्हेल गेम याद ही होगा। उसमें भी टास्क के जरिए खिलाड़ी को आत्महत्या के लिए मजबूर किया जाता था। वर्ष 2017 में ...
आसान नहीं है ‘विकसित भारत -2047’

आसान नहीं है ‘विकसित भारत -2047’

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- राकेश दुबे भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना 'विकसित भारत-2047’ पर देश में हर जगह चर्चा हो रही है। चर्चाओं का केंद्र अगले कुछ वर्षों में 7 प्रतिशत सालाना से अधिक औसत आर्थिक वृद्धि दर हासिल करना है। इस समय भारत और चीन की तुलना करना उपयोगी हो सकता है। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक 1991 में दोनों देशों में कृषि में रोजगार का प्रतिशत आसपास ही था। चीन में यह 60 प्रतिशत तथा भारत में 63 प्रतिशत था, किंतु विश्व बैंक के अनुसार करीब 30 साल बाद चीन में यह तेजी से कम होकर 23 प्रतिशत रह गया, जो भारत के 44 प्रतिशत आंकड़े से बहुत कम है। इन 30 साल के भीतर चीन में लगभग 20 करोड़ कृषि श्रमिक उद्योग और सेवा क्षेत्रों में चले गए। विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक भारत में भी काफी संख्या में श्रमिक खेती से बाहर चले गए मगर इसी दौरान कृषि में रोजगार पाने वालों की संख्या 3.5 करोड़ बढ़ गई। भारत को मौजूदा ...
हादसे के शिकार होते कोचिंग केंद्र

हादसे के शिकार होते कोचिंग केंद्र

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- गिरीश्वर मिश्र भारत एक महान देश है जिसके पास अतीत की बड़ी थाती है । हम सभी नागरिक देशभक्त हैं और भारतीय होने पर गर्व भी करते हैं । यह महान देश निकट भविष्य में 'विश्व-गुरु' बनने की उत्कट इच्छा पाले हुए है । इसके साथ ही भारत को 'विकसित देश' और तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति का दावा भी कर रहा है। इसे बनाने के लिए सभी कटिबद्ध भी हैं । इस दृष्टि से युवा वर्ग की खास भूमिका और दायित्व है । आज देश में सामाजिक और भौतिक विविधताएं तो हैं ही आर्थिक विषमता भी बहुत ज्यादा है। हर युवा ऊंची से ऊंची उड़ान भरने के लिए स्वाभाविक रूप से आतुर रहता है । इस हलचल भरे माहौल में युवा वर्ग अपने भविष्य को संवारने के लिए घर-बार छोड़ कर अपना भविष्य संवारने हेतु कोचिंग में पढ़ाई करने के लिए बड़े शहरों की ओर रुख करते हैं । उनके अभिभावक रुपया-पैसा जुटा कर अपने बच्चों को कोचिंग के साथ परीक्षा की तैयारी में आर्थिक मदद करते है...
अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई

अमीर और गरीब के बीच बढ़ती खाई

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- डॉ. सत्यवान सौरभ भारत में असमानता, संपन्नता और निर्धनता के बीच के द्वंद्व से परे है, क्योंकि जाति आधारित असमानताएं देश के सामाजिक-आर्थिक ढांचे की परिभाषित विशेषताओं में से एक हैं। वर्ल्ड इनइक्वैलिटी लैब के एक हालिया वर्किंग पेपर ने अमीर और गरीब के बीच की खाई को चौड़ा किया है। जाति आधारित असमानताएं देश के सामाजिक आर्थिक ढांचे की परिभाषित विशेषताओं में से हैं। आर्थिक असमानता का आकलन करने के लिए गिनी गुणांक और प्रतिशत अनुपात महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम करते हैं। यह लोरेंज कर्व से लिया गया है। इसका उपयोग किसी देश में आर्थिक विकास के संकेतक के रूप में किया जा सकता है। गिनी गुणांक किसी आबादी में आय समानता की डिग्री को मापता है। गिनी गुणांक 0 (पूर्ण समानता) से 1 (पूर्ण असमानता) तक भिन्न हो सकता है। शून्य का गिनी गुणांक का मतलब है कि सभी की आय समान है, जबकि 1 का गुणांक एक व्यक्ति को सभी आ...
Weight Loss: ये चार तरह की चाय वजन घटाने के लिए कारगर

Weight Loss: ये चार तरह की चाय वजन घटाने के लिए कारगर

अवर्गीकृत, जीवन शैली, बॉलीवुड
भोपाल। वजन कम करने वाले लोग सबसे पहले खाना छोड़ते हैं और फिर जिम जॉइन कर लेते हैं। लेकिन फिर भी वजन कम नहीं होता ऐसा क्यों? दरअसल, ऐसा सही रूटीन को फॉलो न कर पाने की वजह से होता है। वजन कम करने के लिए आपको एक ऐसे रूटीन को फॉलो करना चाहिए जिसे आप लंबे समय तक फॉल कर सकें। वजन कम करने वाले लोग अपने रूटीन में 4 तरह की इन चाय को पी सकते हैं। ये चाय वेट लॉस करने के लिए काफी ज्यादा फेमस हैं। वहीं जो लोग रोजाना इनमें से किसी एक चाय को पीते हैं तो उनको तुरंत फर्क दिखेगा। अजवाइन की चाय- अजवायन को पाचन के लिए अच्छा माना जाता है। वजन घटाने और पेट अंदर करने के लिए अजवाइन की चाय बनाकर पी सकते हैं। इस चाय में को बनाने के लिए पानी में अदरक कूटकर डालें और फिर एक चम्मच अजवाइन को भी इसमें मिलाा दें। पानी उबल जाने के बाद छान लें और फिर इसमें आधा नींबू निचौड़ लें। अब इस चाय को घूंट-घूंट कर पीएं। सौंफ की ...
प्रकृति, शिव और समाज से जोड़ती है कांवड़ यात्रा

प्रकृति, शिव और समाज से जोड़ती है कांवड़ यात्रा

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- डॉ. आशीष वशिष्ठ कांवड़ का अर्थ है परात्पर शिव के साथ विहार। अर्थात् ब्रह्म यानी परात्पर शिव, जो उनमें रमण करे वह कांवड़िया। प्रत्येक वर्ष श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवड़िए दूर-दराज से आते हैं और अपने आसपास के स्थानों से गंगा जल भरते हैं, तत्पश्चात् पदयात्रा कर अपने-अपने स्थानों को वापस लौट जाते हैं। इसी यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है। फिर चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया जाता है और शिव जी से अपनी और अपनों की सुख शांति की प्रार्थना की जाती है। कहने के लिए तो ये बस एक धार्मिक आयोजन मात्र है, लेकिन इसका सामाजिक और धार्मिक महत्व बहुत है। इसका सामाजिक सरोकार भी है। कांवड़ के माध्यम से जल की यात्रा का यह पर्व सृष्टि रूपी शिव की आराधना के लिए है। जल आम आदमी के साथ-साथ पेड़-पौधों, पशु-पक्षियों, धरती में निवास करने वाले हजारों-लाखों तरह के...
भारत को चीन के साथ-साथ अमेरिका से भी खतरा

भारत को चीन के साथ-साथ अमेरिका से भी खतरा

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- डॉ. अनिल कुमार निगम आज भारत को चीन से ज्‍यादा अमेरिका से खतरा है। अमेरिका ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रूस यात्रा पर जिस तरह से प्रतिक्रिया दी और भारत ने उसका प्रतिकार किया, वह विचारणीय है। ‍संप्रति, अमेरिका में राष्‍ट्रपति पद का चुनाव चल रहा है। पूर्व राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रम्‍प रिपब्लिकन पार्टी से प्रत्‍याशी हैं तो डेमोक्रैटिक पार्टी से उम्‍मीदवार अमेरिका के राष्‍ट्रपति जो बाइडेन के नाम वापस लेने के बाद वहां की उप राष्‍ट्रपति एवं भारतवंशी कमला हैरिस राष्‍ट्रपति का चुनाव लड़ रही हैं। महत्‍वपूर्ण यह नहीं है कि चुनाव में कौन चुनाव लड़ रहा है और कौन राष्‍ट्रपति बनेगा? महत्‍वपूर्ण यह है कि डोनाल्‍ड ट्रम्‍प और कमला हैरिस में कौन-सा ऐसा नेता है जो भारत के साथ बेहतर तालमेल रख सकेगा? एक ओर जहां अमेरिका भारत के बल पर एशिया में चीन की शक्ति को संतुलित करना चाहता है, वहीं दूसरी ओर वह भा...