Wednesday, April 30"खबर जो असर करे"

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सिस्टम को सोचने की जरूरत है

सिस्टम को सोचने की जरूरत है

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- प्रियंका सौरभ पेरिस ओलिंपिक-2024 में सभी देशों को टक्कर देता इकलौता विश्वविजेता देश जापान आज हम सभी के लिए ज्योतिपुंज है। 14 साल का जापानी किशोर गोल्ड मेडल ला रहा है और हम 140 करोड़ का देश एक मेडल पर राजनीति श्रेय लेने की होड़ में वाहवाही कर रहे हैं। हर खिलाड़ी की व्यक्तिगत जीत देश के लिए न्यौछावर है लेकिन हम कहां हैं ये जानना जरूरी है मेडल लिस्ट में। जहां कॉलेज और स्कूल स्टूडेंट्स ओलंपिक मेडल ले आते हैं उनको बचपन से फोकस, जिम्मेवारी और निपुणता कैसे लानी है सिखाया जाता है। आज तक के हर ओलंपिक की यह तस्वीर आप खुद देखिए अब आगे क्या कहूं? एक-एक मेडल के लिए तरसते इस देश में जब हमारे स्टार खिलाड़ी सब कुछ मिलने के बाद राजनीति का स्वाद भी लेना चाहते हैं तो मन खट्टा हो ही जाता है। देश की हालात देखिए ओलंपिक में मेडल के लिए तरसते हैं और कोई एक मेडल जीत जाए तो राजनीतिक लाभ लेने के लिए पैसों की बार...
विश्व आदिवासी दिवस: बड़े जनजातीय नरसंहार के स्मरण का शोक दिवस

विश्व आदिवासी दिवस: बड़े जनजातीय नरसंहार के स्मरण का शोक दिवस

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- प्रवीण गुगनानी विदेशी शक्तियां भारतीय समाज को विखंडित करने के लिए मूलनिवासी दिवस का उपयोग कर रही हैं। नौ अगस्त, वस्तुतः पश्चिमी साम्राज्यवादियों द्वारा किए गए बड़े और बर्बर नरसंहार का दिन है। इस शोक दिवस को उसी पीड़ित व दमित जनजातीय समाज द्वारा उत्सव व गौरवदिवस रूप में मनवा लेने का षड्यंत्र है यह। आश्चर्य यह है कि पश्चिम जगत, झूठे विमर्श गढ़ लेने में माहिर छद्म बुद्धिजिवियों के भरोसे जनजातीय नरसंहार के इस दिन को जनजातीय समाज द्वारा ही गौरव दिवस के रूप में मनवाने कुचक्र में सफल हो रहा है। वस्तुतः 09 अगस्त का यह दिन अमेरिका, जर्मनी, स्पेन सहित समस्त उन पश्चिमी देशों में वहां के बाहरी आक्रमणकारियों द्वारा पश्चाताप, दुःख व क्षमाप्रार्थना का दिन होना चाहिए। इस दिन यूरोपियन आक्रमणकारियों को उन देशों के मूल निवासियों से क्षमा मांगनी चाहिए जिन मूलनिवासियों को उन्होंने बर्बरतापूर्वक नरसंहार करके ...
भारत छोड़ो दिवस पर विशेष: ‘चीनी’ सामान भारत छोड़ो

भारत छोड़ो दिवस पर विशेष: ‘चीनी’ सामान भारत छोड़ो

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- सुरेश हिन्दुस्थानी भारतीय बाजारों में जिस प्रकार से चीनी वस्तुओं का आधिपत्य दिखाई दे रहा है, उससे यही लगता है कि देश में एक और भारत छोड़ो आंदोलन की महती आवश्यकता है। यह बात सही है कि आज देश में अंग्रेज नहीं हैं, लेकिन भारत छोड़ो आंदोलन के समय जिस देश भाव का प्रकटीकरण किया गया, आज भी वैसे ही देश भाव के प्रकटीकरण की आवश्यकता दिखाई देने लगी है। हम सभी चीनी वस्तुओं का त्याग करके चीन को सबक सिखा सकते हैं। यह समय की मांग भी है और देश को सुरक्षित करने का तरीका भी है। हम देश की सीमा पर जाकर राष्ट्र की सुरक्षा नहीं कर सकते तो चीनी वस्तुओं का बहिष्कार करके सैनिकों का उत्साह वर्धन तो कर ही सकते हैं। तो क्यों न हम आज ही इस बात का संकल्प लें कि हम जितना भी और जैसे भी हो सकेगा, देश की रक्षा के लिए कुछ न कुछ अवश्य ही करेंगे। भारत को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त कराने के लिए जिन महापुरुषों ने जिस स्...
योगी के तंज में छुपी, भविष्य की राजनीति

योगी के तंज में छुपी, भविष्य की राजनीति

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- डॉ. आशीष वशिष्ठ उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बारिश के दौरान मोटरसाइकिल सवार एक व्यक्ति और उसकी पत्नी पर सड़क पर भरा पानी उछालने और महिला को खींचकर गिराने के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कड़ा रुख अपनाया है। इसकी गूंज विधानसभा तक में सुनाई दी। मुख्यमंत्री ने सदन में दो आरोपितों का नाम लिया, जिस पर जमकर राजनीति भी हो रही है। योगी ने जिन आरोपितों का नाम लिया उनमें एक मुस्लिम और एक यादव था, जिसका मकसद मुख्य विपक्षी दल सपा पर निशाना साधना था। योगी ने तंज भरे अंदाज में कहा, ''यह सद्भावना वाले लोग हैं? यानी अब इनके लिए सद्भावना ट्रेन चलाएंगे?…नहीं इनके लिए बुलेट ट्रेन चलेगी।'' सभी आरोपितों के नाम सामने आने के बाद विपक्षी दलों ने मुख्यमंत्री योगी को घेरना शुरू कर दिया है। विपक्षी दलों का कहना है कि अपराधियों की न जाति होती है और न धर्म लेकिन योगी आदित्यनाथ ने सदन में उनकी धार...
सोशल मीडिया पर स्क्रॉल होती युवाओं की जिंदगी

सोशल मीडिया पर स्क्रॉल होती युवाओं की जिंदगी

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- डॉ. सत्यवान सौरभ अगर आप समाज से अलग-थलग महसूस करते हैं, और सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे ऐप्स पर ज्यादा समय बिताते हैं तो एक नए शोध के अनुसार, इससे स्थिति और बिगड़ सकती है। सोशल मीडिया से युवाओं में अवसाद बढ़ रहा है। फेसबुक से डिप्रेशन का खतरा 7 प्रतिशत बढ़ा है, फेसबुक से चिड़चिड़ापन का खतरा 20 प्रतिशत बढ़ा है। सोशल मीडिया ने मोटापा, अनिद्रा और आलस्य की समस्या बढ़ा दी है, 'फियर ऑफ मिसिंग आउट' को लेकर भी चिंताएं बढ़ गई हैं। स्टडी के मुताबिक सोशल मीडिया से सुसाइड रेट बढ़े है। इंस्टाग्राम से लड़कियों में हीन भावना आ रही है। सोशल मीडिया के माध्यम से जांच करना और स्क्रॉल करना पिछले एक दशक में तेजी से लोकप्रिय गतिविधि बन गया है। अधिकांश लोगों द्वारा सोशल मीडिया का उपयोग सोशल नेटवर्किंग साइटों के आदी हो जाने से हो रहा हैं। वास्तव में, सोशल मीडिया की लत एक व्यवहार...
जाति पर सियासी संग्राम

जाति पर सियासी संग्राम

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- प्रो. मनीषा शर्मा भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर के लोकसभा में राहुल गांधी की जाति पूछे जाने के बाद से देश में जाति को लेकर माहौल गर्माया हुआ है। इससे पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने जाति आधारित जनगणना नहीं करने को लेकर लोकसभा में जो बयान दिया उसके बाद से इस विषय पर लगातार बहस जारी है। जातिगत जनगणना कराए जाने को लेकर पक्ष और विपक्ष दोनों अपने-अपने तर्क दे रहा है। विपक्ष लगातार जातिगत जनगणना कराए जाने के समर्थन में अनेक तर्क दे रहा है। देश में जातीयता और फूट डालो राज करो की नीति का जो जहरीला बीज अंग्रेज डाल गए थे कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टियों के नेताओं ने उसे खाद-पानी देकर निरन्तर सींचा और अपनी जरूरतों के अनुसार इसका इस्तेमाल किया। आज यह जहर हमारी संपूर्ण फिजाओं में घुल चुका है । देश में जनगणना की शुरुआत 1881 में औपनिवेशिक शासन के दौरान हुई। जाति के आधार पर आबादी क...
ब्रेस्टफीडिंग की कमी से कुपोषित होते नवजात शिशु

ब्रेस्टफीडिंग की कमी से कुपोषित होते नवजात शिशु

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- डॉ. रमेश ठाकुर विश्वभर में तेजी से बढ़ते कुपोषण के आंकड़े भयभीत करने गले हैं, भारत इन आकंड़ों से अछूता नहीं है। डब्ल्यूएचओ की मानें तो विश्व का प्रत्येक 8वां बच्चा कुछ महीनों बाद कुपोषित हो जाता है जिसका मुख्य कारण बच्चे को उचित ब्रेस्टफीडिंग का न मिलना। नवजात शिशुओं के शुरुआती स्वास्थ्य से लेकर संपूर्ण स्वस्थ्य यानी जीवनकाल की रक्षा करने में स्तनपान सबसे प्रभावी तरीकों में से एक माना गया है, तथापि वर्तमान में 6 महीने से कम उम्र के आधे से भी कम शिशुओं को स्तनपान कराया जाता है। आधुनिक युग में निश्चित रूप आधी आबादी विकास के नए क्षितिज छू रही है, लेकिन कुछ चीजें पीछे छूटती जा रही हैं। उच्च शिक्षित महिलाओं का समय पर नवजात शिशुओं को स्तनपान न करवाना भी कुपोषण के आंकड़ों में उछाल दिलवाता है। भारत में कुपोषण का दर लगभग 55 प्रतिशत है। जबकि, अफ्रीका में ये 27 प्रतिशत के करीब है। भारत की स्थिति अन्...
रामचरित मानस की बात ही निराली है

रामचरित मानस की बात ही निराली है

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- हृदयनारायण दीक्षित यूनेस्को की 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रीजनल रजिस्टर' में रामचरितमानस को एशिया पेसिफिक की 20 धरोहरों में शामिल किया गया है। रामचरितमानस पूरे विश्व में श्रद्धा के साथ पढ़ी जाती है। वैसे श्रीराम से जुड़ी घटनाओं पर राम कथा में अनेक ग्रंथ लिखे गए हैं। श्री वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण रामकथा का उत्कृष्ट ग्रंथ है। 20 हजार से अधिक श्लोकों में विस्तृत रामायण सारी दुनिया में चर्चित है। रामायण और महाभारत को भारत में महाकाव्य कहा जाता है। रामायण और महाभारत में दर्शन है, इतिहास है। तमाम प्रभावशाली आख्यान भी हैं। लेकिन रामचरितमानस की बात ही दूसरी है। रामचरितमानस में भक्ति है, परम सत्ता के प्रति समर्पण है। यह सीधी-सादी सरल भाषा में लिखी गई प्रतिष्ठित संरचना है। इसकी भाषा प्रवाहमान है, सरल है, बिना प्रयास के ही मस्तिष्क से हृदय में पहुंच जाती है। इसकी कथा ज्ञान और भक्ति से भरी पूरी है। तुल...
आखिर क्यों धामी को आलोचना से कोई फर्क नहीं पड़ता?

आखिर क्यों धामी को आलोचना से कोई फर्क नहीं पड़ता?

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- अर्चना राजहंस डबल इंजन सरकार के नाम पर जहां अन्य प्रदेश सरकारें हांफने लगती हैं वहीं धामी खुलकर बोलते हैं कि हां, उत्तराखंड में मोदी-धामी की डबल इंजन सरकार काम करती है। कहते हैं कैलाश में शिव अपने अराध्य नारायण और लक्ष्मी के साथ में विराजमान हैं जिन्हें बद्री विशाल के नाम से जाना जाता है। बद्री विशाल यानी पांडव अर्जुन, यानी ईश्वर का वो मूर्तिमान रूप जो चारों युगों में यहां विराजमान है। इसने सृष्टि को कई बार बनते बिगड़ते देखा है। 2013 में केदारनाथ में हुए हादसे के बाद ऐसा लगा था मानों अब केदार को फिर से बसा पाना संभव नहीं हो पाएगा, लेकिन हरि और शिव जहां स्वयं विराजमान हों वहां कैसा रुदन? केदार को संवारने जैसे दोनों स्वयं आ गए हों, मोदी और धामी के रूप में। कहते हैं उत्तराखंड में डबल इंजन की सरकार है। सच कहें तो यहां प्राकृतिक रूप से डबल इंजन सरकार है। इस पूरे प्रदेश को बद्री और केदार...