Wednesday, April 30"खबर जो असर करे"

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भारतीय दर्शन और संस्कृति जैसी श्रेष्ठता कहीं नहीं

भारतीय दर्शन और संस्कृति जैसी श्रेष्ठता कहीं नहीं

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- अरुण कुमार दीक्षित स्वामी विवेकानंद ने भारतीय दर्शन को दुनिया के देशों में प्रचारित किया। उन्होंने पूरे विश्व को यह सन्देश देने का प्रयास किया कि भारतीय दर्शन और संस्कृति जैसी श्रेष्ठता कहीं नहीं है। हम पूरी पृथ्वी पर एक श्रेष्ठतम राष्ट्र हैं। हम सभी सभ्यताओं का स्वागत करते हैं। हम गहन तमस से भरे विश्व को मार्ग दिखा सकते हैं। हम सब भारत के लोग एक गौरवशाली संस्कृति के वाहक हैं। हमारा सामना विश्व की भोग विलास में लिप्त संस्कृतियां नहीं कर सकती। हम भारत के लोग बर्बर नही हैं। हम भिन्न भाषा-भाषी संस्कृतियों, बोलियों को आत्मसात करते हुए चलते हैं। भारत की संस्कृति में हमेशा उच्चतम विचारों को प्राथमिकता दी गयी है। हम किसी को मतान्तरित कर अपनी संख्या नहीं बढ़ाते। हम युद्ध के माध्यम से साम्राज्य का विस्तार करने वाली संस्कृति के पुत्र नहीं हैं। हम पूरी दुनिया को परिवार मानने वाले हैं। हमारा राष्ट्र...
मरीजों को पीड़ामुक्त करती नर्सों के चेहरे की मुस्कान भी बनी रहे!

मरीजों को पीड़ामुक्त करती नर्सों के चेहरे की मुस्कान भी बनी रहे!

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- डॉ. आर.के. सिन्हा भारत में रोगियों का अस्पतालों में तस्ल्लीबख्श इलाज किस तरह से हो, इस मसले पर नए-नए सुझाव सामने आते रहते हैं। सब अपने-अपने अनुभव और जानकारी के हिसाब से बताते हैं कि रोगियों को हम किस तरह से उच्च कोटि का इलाज दे सकते हैं। पर सारी बहस में हेल्थ सेक्टर की जान नर्सों के योगदान और उनके हितों की चर्चा कहीं पीछे छूट जाती है। यह बात ध्यान रखने की है कि अपने पेशे के प्रति निष्ठावान नर्सों के बिना रोगियों को सही ढंग से इलाज ही संभव नहीं है। इसलिए नर्सों की ट्रेनिंग और इनकी पगार और दूसरी सुविधाओं, खासकर इनके साथ होने वाले विनम्र व्यवहार पर खास देते रहना होगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का मानना है कि एक हजार की आबादी पर चार नर्सें लाजिमी तौर पर होनी चाहिए। भारत अभी तक इस स्थिति तक नहीं पहुंचा है। भारत में एक हजार लोगों पर औसत दो ही प्रशिक्षित नर्स उपलब्ध हैं। भारत को अपने...
जाटलैंड में श्वेता के जरिये कांग्रेस को विनेश से आस

जाटलैंड में श्वेता के जरिये कांग्रेस को विनेश से आस

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- डॉ. रमेश ठाकुर कुश्ती का कितना दबदबा इस मर्तबा हरियाणा विधानसभा चुनाव में रहेगा? इसको लेकर तो चर्चाएं आम हैं ही, लेकिन एक और कारण है जिसके चलते मौजूदा चुनाव बड़े दिलचस्प मोड़ पर पहुंच गया है। जाट लैंड के नाम से विख्यात हरियाणा में इस बार चुनावी मुद्दे एकाध नहीं, बल्कि बहुतेरे हैं। कुश्ती की किचकिच, बृजभूषण सिंह और विनेश फोगाट के बीच चिंगारी की भांति भड़कता प्रकरण, जाट आंदोलन, किसान मूवमेंट, चुनाव से पहले नेताओं द्वारा दलबदल, आपसी खींचतान के इतर एक ऐसा अलहदा और नया रौचक मुद्दा उभरा हुआ है। मुद्दा किसी सियासी खिलाड़ी से नहीं, बल्कि घुड़सवार खिलाड़ी से वास्ता रखता है। किरदार का नाम है श्वेता मिर्धा। श्वेता के अचानक सियासत में कूदने से राजनीतिक समीकरण अपने आप बदल गए हैं। श्वेता की आमद ने जहां कांग्रेस में नई जान फूंकी है, तो वहीं भाजपा के चुनावी गणित-भूगोल की ऐसी की तैसी कर दी है। श्वेता मिर्धा ...
भारतीय संस्कृति में जन्माष्टमी का महत्व

भारतीय संस्कृति में जन्माष्टमी का महत्व

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- योगेश कुमार गोयल जन्माष्टमी का त्योहार भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में प्रतिवर्ष भाद्रपक्ष कृष्णाष्टमी को मनाया जाता है, जो इस वर्ष 26 अगस्त को मनाया जा रहा है। मान्यता है कि मथुरा के कारागार में वसुदेव की पत्नी देवकी ने कृष्ण को इसी दिन जन्म दिया था। भारतीय संस्कृति में जन्माष्टमी पर्व का इतना महत्व क्यों है, यह जानने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के जीवन दर्शन और उनकी अलौकिक लीलाओं को समझना अनिवार्य है। बाल्याकाल से लेकर बड़े होने तक श्रीकृष्ण की अनेक लीलाएं विख्यात हैं। उन्होंने अपने बड़े भाई बलराम का घमंड तोड़ने के लिए हनुमान जी का आह्वान किया था, जिसके बाद हनुमान जी ने बलराम की वाटिका में जाकर बलराम से युद्ध किया और उनका घमंड चूर-चूर कर दिया था। श्रीकृष्ण ने नररकासुर नामक असुर के बंदीगृह से 16100 बंदी महिलाओं को मुक्त कराया था, जिन्हें समाज द्वारा बहिष्कृत कर दिए जाने पर उन महिलाओं न...
पाकिस्‍तान के हालात बांग्‍लादेश से ज्‍यादा खराब

पाकिस्‍तान के हालात बांग्‍लादेश से ज्‍यादा खराब

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- डॉ. अनिल कुमार निगम बांग्‍लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्‍ता पलट होने के बाद सवाल उठ रहा है कि क्या दक्षिण एशिया के इस क्षेत्र में तीसरी बार भी ऐसी घटना होगी? क्या अगला नंबर पाकिस्तान का है? यह सवाल सोलह आना खरा इसलिए है क्योंकि इस समय पाकिस्तान के हालात काफी खराब हैं और वहां पर सरकार के खिलाफ कई आंदोलन चल रहे हैं। पाकिस्‍तान अनेक भीषण चुनौतियों और संकटों से जूझ रहा है। पाकिस्तान के अंदर जिस तरह के विरोध प्रदर्शन और आंदोलन चल रहे हैं, उससे आभास होता है कि वहां भी सरकार के खिलाफ विद्रोह भड़कने की कगार पर है। यह बात इसलिए दावे के साथ कही जा सकती है क्‍योंकि बांग्लादेश की तरह पाकिस्तान में भी तख्तापलट का इतिहास रहा है। रावलपिंडी में जमात-ए-इस्लामी के नेतृत्व में हजारों लोग बेरोजगारी व महंगाई के विरोध में सड़कों पर उतर कर शहबाज शरीफ को धमका रहे हैं कि उनका हश्र हसीना से बुरा होगा। दरअसल, ...
प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा और पश्चिमी मीडिया

प्रधानमंत्री मोदी की यूक्रेन यात्रा और पश्चिमी मीडिया

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- डॉ. रमेश ठाकुर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के यूक्रेन दौरे को ग्लोबल मीडिया और विरोधी मुल्क हिकारत की नजरों से देख रहे हैं। विदेशी मीडिया ने यहां तक कह दिया है कि मोदी रूस का एजेंट बनकर यूक्रेन का भेद लेने पहुंचे हैं? यूकेन को सतर्क रहना चाहिए। कमोबेश तस्वीरें भी कुछ ऐसी ही दिखाई दे रही हैं। प्रधानमंत्री के दौरे को यूक्रेन गर्मजोशी से नहीं ले रहा, बल्कि शक की निगाहों से जरूर देख रहा है। प्रधानमंत्री भी उनके बदले नजरिए को भांपे हुए हैं। बेशक, वह कहें कुछ न, लेकिन असहज जरूर हो रहे हैं? उनके इस दौरे के बाद भारत कई देशों के निशाने पर भी आ गया है। खासकर उन मुल्कों के जो रूस के खिलाफ जारी युद्ध में खड़े हुए हैं। अमेरिका, चीन, पाकिस्तान जैसे देश मोदी के दौरे को रूस का एजेंट बताने में लग गए हैं। उनके स्थानीय मीडिया में यूक्रेन यात्रा की खुलेआम आलोचना हो रही है। प्रधानमंत्री भी सब कुछ जानकर भी इसल...
चंबा प्रकृति में समृद्ध, विकास में पिछड़ा

चंबा प्रकृति में समृद्ध, विकास में पिछड़ा

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- कुलभूषण उपमन्यु हिमाचल प्रदेश का जिला चंबा आजादी से पहले उत्तर पश्चिमी हिमालय का एक मुख्य रजवाड़ा हुआ करता था. जो आजादी के बाद हिमाचल प्रदेश में 1948 में शामिल हुआ और जिला चंबा कहलाया। हालांकि लाहौल का भी कुछ क्षेत्र चंबा रजवाड़े का भाग हुआ करता था जिसे चंबा-लाहौल कहा जाता था। पंजाब-हिमाचल के पुनर्गठन के बाद कुल्लू लाहौल का मुख्य भाग भी जब हिमाचल में शामिल हो गया तब चंबा लाहौल वाला क्षेत्र जिला लाहौल-स्पिति में डाल दिया गया। चंबा रजवाड़ा शासन के अंतर्गत अन्य पहाड़ी रजवाड़ों से विकसित और प्रगतिशील माना जाता था। जहां 1870 से पहले राजा श्री सिंह के समय आधुनिक चिकित्सालय का निर्माण हो चुका था। राजा शाम सिंह के समय जिसे 40 बिस्तर का अस्पताल बनाया गया। राज्य के दूरदराज हिस्सों को सड़कों से जोड़ा गया। विद्यालय खोले गए। प्रतिभाशाली छात्रों को राज्य से बाहर पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति देने की व्यवस्था हु...
आलोचकों की परवाह न कर अपनी राह चलते हैं प्रधानमंत्री

आलोचकों की परवाह न कर अपनी राह चलते हैं प्रधानमंत्री

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- प्रो.संजय द्विवेदी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में कुछ तो खास है कि वे अपने विरोधियों के निशाने पर ही रहते हैं। इसका खास कारण है कि वे अपनी विचारधारा को लेकर स्पष्ट हैं और लीपापोती, समझौते की राजनीति उन्हें नहीं आती। राष्ट्रहित में वे किसी के साथ भी चल सकते हैं, समन्वय बना सकते हैं, किंतु विचारधारा से समझौता उन्हें स्वीकार नहीं है। उनकी वैचारिकी भारतबोध, हिंदुत्व के समावेशी विचारों और भारत को सबसे शक्तिशाली राष्ट्र बनाने की अवधारणा से प्रेरित है। यह गजब है कि पार्टी के भीतर अपने आलोचकों पर भी उन्होंने कभी अनुशासन की गाज नहीं गिरने दी, यह अलग बात है कि उनके आलोचक राजनेता ऊबकर पार्टी छोड़ चले जाएं। उन्हें विरोधियों को नजरंदाज करने और आलोचनाओं पर ध्यान न देने में महारत हासिल है। इसके उलट पार्टी से नाराज होकर गए अनेक लोगों को दल में वापस लाकर उन्हें सम्मान देने के अनेक उदाहरणों से मोदी चकित ...
धीमा न्याय निर्भयाओं को कर रहा कमजोर

धीमा न्याय निर्भयाओं को कर रहा कमजोर

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- प्रियंका सौरभ कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कालेज एवं अस्पताल में हुए शर्म से डुबो देने वाले हौलनाक कांड ने कई तरह के सवाल पैदा किए हैं। कार्यस्थलों पर महिलाओं के साथ होने वाली घटनाओं को रोकने के तमाम प्रयासों के बीच मेडिकल स्टूडेंट (ट्रेनी लेडी डॉक्टर) की रेप के बाद की गई हत्या से सारे देश में उबाल है। ऐसे मामलों में धीमी न्याय प्रक्रिया भी निर्भयाओं के हौसले को कमजोर करती है। कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न अधिनियम (2013) जैसे प्रगतिशील कानूनों के अस्तित्व के बावजूद, निगरानी , जवाबदेही और संस्थागत समर्थन की कमी के कारण उनका कार्यान्वयन कमजोर बना हुआ है। राष्ट्रीय महिला आयोग के एक अध्ययन में पाया गया कि कई कार्यस्थलों में आंतरिक शिकायत समितियों का अभाव है , जो यौन उत्पीड़न अधिनियम को लागू करने के लिए महत्वपूर्ण हैं। संस्थाओं के भीतर भ्रष्टाचार, हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय में बाधा ...