Monday, May 20"खबर जो असर करे"

अवर्गीकृत

रेवड़ी की मिठास पर सियासत की खटास

रेवड़ी की मिठास पर सियासत की खटास

अवर्गीकृत
- सियाराम पांडेय ‘शांत’ रेवड़ी की अपनी मिठास होती है। इसकी मिठास और स्वाद के रसिक भारत ही नहीं, अपितु पूरी दुनिया में हैं। लखनऊ में 30 करोड़ रुपये की रेवड़ी हर माह बिकती रही है। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने तो लखनवी गजक के लिए अपना हेलीकाप्टर तक रुकवा दिया था। रोहतक में भी रेवड़ी का सालाना कारोबार डेढ़ लाख करोड़ रुपये का है। पाकिस्तानी भी इसके दीवाने हैं। अपने परिचितों के जरिए वे लखनऊ और रोहतक की रेवड़ी मंगाते रहते हैं लेकिन कोरोना की भारी मार के बाद अब तो रेवड़ी शब्द भी असंसदीय हो गया है। आपत्तिजनक हो गया है। सियासी कठघरे में खड़ा हो गया है। हालांकि अंधे की रेवड़ी वाला मुहावरा इस देश में बहुत पहले से चला आ रहा है लेकिन इस पर आपत्ति कभी नहीं हुई। इसे दिव्यांगों के अपमान के तौर पर भी नहीं देखा गया। देखा भी गया हो तो इसे कोई खास तवज्जो नहीं दी गई। तवज्जो तभी मिलती है जब नेता उस प...
इंडोनेशिया में योगी मॉडल

इंडोनेशिया में योगी मॉडल

अवर्गीकृत
- डॉ. दिलीप अग्निहोत्री अनेक अवसरों पर सुशासन का योगी मॉडल दुनिया में चर्चित हुआ है। विकसित देशों ने भी इसके कई बिंदुओं से प्रेरणा ली है। इस बार योगी मॉडल का विस्तार इंडोनेशिया में हुआ है। इस तथ्य को वहां की राजदूत ने स्वीकार किया है। इंडोनेशिया की राजदूत ने पिछले दिनों लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। यह मुलाकात अर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण रही। दोनों देशों के युगों पुराने सांस्कृतिक संबंध पर चर्चा हुई। राजदूत ने अपने नाम को भारतीय संस्कृति से जोड़ा। उनका कथन भाव विभोर करने वाला रहा। अर्थिक क्षेत्र में योगी की एक जिला एक उत्पाद योजना का प्रसंग उठा। इंडोनेशिया की राजदूत ने कहा कि उनके नाम में ही कृष्णमूर्ति जुड़ा हुआ है। यह भारत और विशेष रूप से उत्तर प्रदेश के प्रति जुड़ाव को प्रकट करता है। वर्तमान उत्तर प्रदेश में ही प्रभु श्रीराम और प्रभु श्रीकृष्ण की जन...
भारत में हिंदू अल्पसंख्यक हैं?

भारत में हिंदू अल्पसंख्यक हैं?

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक सर्वोच्च न्यायालय में आजकल एक अजीब-से मामले पर बहस चल रही है। मामला यह है कि क्या भारत के कुछ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक माना जाए या नहीं? अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक होने का फैसला राष्ट्रीय स्तर पर होना चाहिए या राज्यों के स्तर पर? अभी तक सारे भारत में जिन लोगों की संख्या धर्म की दृष्टि से कम है, उन्हें ही अल्पसंख्यक माना जाता है। इस पैमाने पर केंद्र सरकार ने मुसलमानों, ईसाइयों, पारसियों, सिखों, बौद्धों और जैनियों को अल्पसंख्यक होने की मान्यता दे रखी है। यह मान्यता इन लोगों पर सभी प्रांतों में भी लागू होती है। जिन प्रांतों में ये लोग बहुसंख्यक होते हैं, वहां भी इन्हें अल्पसंख्यकों की सारी सुविधाएं मिलती हैं। ऐसे समस्त अल्पसंख्यकों की संख्या सारे भारत में लगभग 20 प्रतिशत है। अब अदालत में ऐसी याचिका लगाई गई है कि जिन राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं, उन्हें वहां भ...
केजरीवाल को क्यों रोका हुआ है?

केजरीवाल को क्यों रोका हुआ है?

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को विदेश जाने से केंद्र सरकार ने रोक रखा है। पिछले सवा महीने से उनकी अर्जी उप राज्यपाल के दफ्तर में अटकी पड़ी है। पहले उन्हें उप राज्यपाल की अनुमति लेनी पड़ेगी और फिर विदेश मंत्रालय की। किसी भी मुख्यमंत्री को यह अर्जी क्यों लगानी पड़ती है? क्या वह कोई अपराध करके देश से पलायन की फिराक में है? क्या वह विदेश में जाकर भारत की कोई बदनामी करनेवाला है? क्या वह देश के दुश्मनों के साथ विदेश में कोई साजिश रचने वाला है? क्या वह अपने कालेधन को छिपाने की वहां कोई कोशिश करेगा? आज तक किसी मुख्यमंत्री पर इस तरह का कोई आरोप नहीं लगा। स्वयं नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए कई देशों में जाते रहे। कांग्रेस की केंद्रीय सरकार ने उनकी विदेश यात्राओं में कभी कोई टांग नहीं अड़ाई। तो अब उनकी सरकार ने केजरीवाल की सिंगापुर यात्रा पर चुप्पी क्यों सा...
वैश्विक शांति के लिए धार्मिक सद्भाव

वैश्विक शांति के लिए धार्मिक सद्भाव

अवर्गीकृत
- कुलभूषण उपमन्यु मनुष्य जैसे-जैसे सभ्यता की सीढ़ियां चढ़ता गया वैसे-वैसे जीवन को सुखी बनाने के उसने नए-नए रास्ते खोजने आरंभ किए। इसी खोज में धर्म का अविष्कार हुआ। बाहरी प्रयासों से मनुष्य के लिए समाज के भौतिक वस्तुओं को प्राप्त करने की होड़ और टकरावों को रोक पाना उतना आसान नहीं था। धर्म ने आंतरिक अनुशासन से इन टकरावों को कम करके सुखी जीवन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया। धीरे-धीरे धर्म जीवन से जुड़ी समस्याओं को और गहराई से देखने लगा। धर्म के साथ दार्शनिक सोच का आविर्भाव हुआ। दर्शन से तर्क पूर्ण सोच का उदय हुआ। अलग-अलग देशों के धर्मों ने अपने-अपने देशकाल जनित परिस्थितियों के अनुरूप धर्म के लक्ष्य निर्धारित करके संसार के पैदा होने के कारणों और संचालित होने के रहस्यों को जानने का प्रयास किया। उसके अनुरूप धार्मिक पद्धतियों का विकास हुआ। जाहिर है कि अलग -अलग देशकाल के कारण उनके निष्कर्ष अलग-अल...
धनखड़ की धाक से चमकेंगे किसानों के चेहरे

धनखड़ की धाक से चमकेंगे किसानों के चेहरे

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक भाजपा नीति राजग सरकार ने राष्ट्रपति पद के लिए द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बनाया और अब उपराष्ट्रपति पद के लिए जगदीप धनखड़ का नाम घोषित हुआ है। दोनों उम्मीदवारों को मंत्री और राज्यपाल रहने का अनुभव है। इससे भी बड़ी बात यह है कि इन दोनों को इन सर्वोच्च पदों के लिए चुनते हुए भाजपा नेताओं ने किस बात का ध्यान रखा है? वह बात है वंचितों के सम्मान और वोट बैंक की। एक उम्मीदवार देश के समस्त आदिवासियों को भाजपा से जोड़ेगा और दूसरा समस्त पिछड़ों को। यह देश के आदिवासियों और पिछड़ी जातियों में यह भाव भी भरेगा कि वे लोग चाहे सदियों से दबे-पिसे रहे लेकिन यदि उनके दो व्यक्ति भारत के सर्वोच्च पदों पर पहुंच सकते हैं तो वे भी जीवन में आगे क्यों नहीं बढ़ सकते? किसान पुत्र धनखड़ के उपराष्ट्रपति बनने की घटना देश के किसानों में नई उमंग जगाए बिना नहीं रहेगी। इसके अलावा पश्चिम बंगाल, झारखंड और ओडि...
पंजाब के सांसद मान के हैरान करते बयान!

पंजाब के सांसद मान के हैरान करते बयान!

अवर्गीकृत
- ऋतुपर्ण दवे अगर हम अपने आदर्शों को आतंकवादी कहेंगे तो फिर राष्ट्रवादी कौन होगा। यह सवाल इन दिनों देश में बड़ी गंभीरता से लोगों को परेशान और हतप्रभ कर रहा है। माना कि ऐसे सवालों की जद में राजनीति होती है लेकिन हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि देश के लिए प्राणों की आहुति देने वालों उसमें भी खासकर देशभक्ति की अनूठी मिशाल पेश करने वालों पर स्वतंत्रता या इससे जुड़े आंदोलनों या कोशिशों के इतने लंबे अरसे बाद केवल सियासत चमकाने के लिए सवाल उठाना न केवल हैरान और परेशान करता है बल्कि भावनाओं को आहत भी करता है। लगता नहीं कि ऐसे सवालों को अब और खासकर तब जब देश स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मनाने की तैयारी में पूरे उत्साह जोश और जोर-शोर से जुटा है उठाना किसी सुनियोजित रणनीति का हिस्सा हो सकता है। पंजाब की संगरूर सीट से नए नवेले सांसद सिमरनजीत सिंह मान का भगत सिंह के बलिदान पर सवाल उठाना एक तो बकवास और दूसर...
दल बदल का खेल, कानून हो रहा फेल!

दल बदल का खेल, कानून हो रहा फेल!

अवर्गीकृत
- रमेश सर्राफ धमोरा महाराष्ट्र के हालिया राजनीतिक घटनाक्रम से दल बदल निरोधक कानून अप्रासंगिक सा हो गया है। इसे और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है। महाराष्ट्र में शिवसेना के विधायकों की बगावत के बाद उद्धव ठाकरे की सरकार गिर चुकी है। और बागियों के नेता एकनाथ शिंदे नई सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। इस कानून की कमजोरियों का फायदा उठाकर जनप्रतिनिध लगातार पाला बदल रहे हैं। हाल ही में बिहार में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी के पांच में से चार विधायक राजद में शामिल हो चुके हैं। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव कांग्रेस के अधिकांश विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल करा चुके हैं। सिक्किम में सिक्किम डेमोक्रेटिक पार्टी के 10 विधायक भाजपा में शामिल हो चुके हैं। मौजूदा नियमों के मुताबिक किसी पार्टी के दो तिहाई व उससे अधिक विधायक एक साथ किसी अन्य पार्टी में विलय करते हैं तो उनकी सद...
भारत को जबरदस्त अमेरिकी छूट

भारत को जबरदस्त अमेरिकी छूट

अवर्गीकृत
- डॉ. वेदप्रताप वैदिक जब भारतीय मूल के नागरिक विदेशों में राज-काज के हिस्सेदार होते हैं तो वे कैसा चमत्कार कर देते हैं। आजकल ऋषि सुनाक के ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनने की बात तो चल ही रही है लेकिन अमेरिका के प्रतिनिधि सदन (लोकसभा) के एक भारतीय सदस्य ने वह काम कर दिखाया है, जो असंभव सा लगता था। रो खन्ना नामक सदस्य ने अमेरिका के राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम को भारत पर लागू होने से रुकवा दिया। यह अधिनियम चीन, उत्तरी कोरिया, ईरान आदि देशों पर बड़ी कड़ाई के साथ लागू किया जा रहा है। इस प्रतिबंध को ‘काट्सा’ कहा जाता है। इसके मुताबिक जो भी राष्ट्र रूस से हथियार आदि खरीदता है, उससे अमेरिका किसी भी प्रकार का लेन-देन नहीं करेगा। तुर्की पर भी काफी दबाव पड़ रहा है, क्योंकि वह रूसी प्रक्षेपास्त्र खरीदना चाहता है। जहां तक भारत का सवाल है, रूस तो भारत को सबसे बड़ा हथियार और सामरिक सामान का विक्रेता है। ...