Sunday, May 19"खबर जो असर करे"

पूर्वी चंपारण के रितेश ने कृषि क्षेत्र में नये प्रयोग कर किसानों को दिखाई नई राह

-ड्रैगन फ्रूट से बढेगी किसानों की आमदनी

मोतिहारी,16जुलाई(एजेंसी)।जिले के किसान कृषि के क्षेत्र लगातार नये नये प्रयोग न केवल बेहतर मुनाफा कमा रहे है बल्कि किसानों को नई राह भी दिखा रहे है।ऐसे प्रयोग करने वालो मे सबसे अधिक जिले के युवा किसान है।जो अच्छी तनख्वाह और पोस्ट वाली नौकरी को छोड़़कर खेतों की तरफ अपना रुख कर रहे हैं।

कृषि के क्षेत्र में युवाओं के आने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे किसान परंपरागत खेती को छोड़ नयी तकनीक और तरीकों का इस्तेमाल कर कृषि के क्षेत्र में नए अवसर का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं।बिहार के पूर्वी चंपारण जिला के केसरिया प्रखंड स्थित पश्चिमी सरोत्तर पंचायत के अलुवाहां टोला के एक युवा किसान रितेश ने कृषि क्षेत्र में ऐसा ही नया प्रयोग शुरू कर किसानों को एक नया रास्ता दिखाया है। रितेश ने बिल्कुल नई तकनीक से ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे है।

युवा किसान रितेश कुमार बताते है कि इस फसल में केवल एक बार निवेश के बाद पारंपरिक खेती के मुकाबले लगभग 25 वर्षों तक इससे आमदनी होती है। मैंने महज तीन कट्ठा खेत में 52 सीमेंट से बने खंबे के सहारे ड्रैगन फ्रूट की खेती की शुरूआत की है जिससे मुझे साल भर में दो से तीन लाख रुपये की आमदनी हो रही है।ड्रैगन फ्रूट एक प्रकार की कैक्टस बेल है जो ऊंची जगहों पर इसकी खेती की जाती है वही कैक्टस प्रजाति का होने के कारण पानी भी अधिक नही चाहिए क्योंकी इसका पौधा खुद पानी संचय कर लेता है और एक पौधे से 8 से 10 फल प्राप्त होते हैं। एक फल का वजन तीन सौ से पांच सौ ग्राम होता है।इन फलों की सीजन में दो सौ से चार सौ रुपये प्रति किलो की कीमत मिल जाती है जो फल मण्डी में आसानी से बिक जाता है।

ड्रैगन फ्रूट के पौधों को सहारा देना पड़ता है इसलिए बाकायदा सीमेंट के 52 खंभे बनवाकर लगवाए हैं।उन्होंने कहा कि हमारे जिले के अन्य किसानों को भी ड्रैगन फ्रूट की खेती करनी चाहिए।इससे किसानों की आमदनी ज्यादा से ज्यादा हो सकती है।उन्होंने बताया कि पूर्वी चंपारण का क्षेत्र का जलवायु और यहां की मिट्टी इसके खेती के लिए अनुकुल है।अगर यहां के किसान सामूहिक रूप से ड्रैगन फ्रूट की खेती करे तो आनेवाले दिनों मे यह क्षेत्र ड्रैगन फ्रुट के हब के रूप में तैयार हो सकता है।