सियोल। दक्षिण कोरिया में ग्योंगगी प्रांत के सिह्युंग में सोमवार दोपहर एक जनरल स्टोर की मालकिन साठ वर्षीय महिला को चाकू मारकर भागा ‘जोसोनजोक’ युवक कई घंटे की जद्दोजहद के बाद पुलिस के हत्थे चढ़ा। उसे पकड़ने के लिए पुलिस को आपातकालीन चेतावनी जारी करके लोगों को घरों में रहने के लिए आगाह किया गया।
द कोरिया टाइम्स अखबार के अनुसार पुलिस अधिकारियों ने चा को उसके एक कमरे वाले फ्लैट से दबोचा। फ्लैट एक सड़ी हुई लाश मिली। चा ने कड़ाई से हुई पूछताछ में खुलासा किया उसने जनरल स्टोर से लगभग दो किलोमीटर दूर एक 70 वर्षीय बुजुर्ग को चाकू मारकर मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद पुलिस ने बुजुर्ग के शव को उनके घर के पास से बरामद किया।
दक्षिण कोरिया में ‘जोसोनजोक’ बड़ी संख्या में हैं। यह कोरियाई-चीनी नागरिक हैं। इस घटना ने दक्षिण कोरिया में ऑनलाइन चीनी विरोधी भावना की लहर को भड़का दिया है। देश में चीन के सभी नागरिकों को निर्वासित करने की मांग ने जोर पकड़ लिया है। जोसोनजोक की उत्पत्ति 1860 के दशक में हुई थी। इतिहासकार कहते हैं कि कई कोरियाई नागरिक अकाल से बचने के लिए मंचूरिया चले गए थे। उन्होंने वहां घनिष्ठ समुदाय बना लिया।यह लोग कुछ समय बाद चीन के यानबियन कोरियाई स्वायत्त प्रांत में रहने लगे।
साल 1992 में कोरिया और चीन के बीच राजनयिक संबंध सामान्य होने के बाद इनमें से बहुत से लोग बेहतर अवसरों की तलाश में कोरिया लौटे। सांख्यिकी विभाग के अनुसार, 2023 तक कोरिया में चीनी राष्ट्रीयता वाले 532,100 ‘जोसोनजोक’ कोरिया में रह रहे थे। कोरियाई समाज जोसोनजोक समुदाय के बारे में प्रतिकूल विचार रखता है। इनको खतरनाक प्रवृत्ति का माना जाता है। ‘जोसोनजोक’ के समाज विरोधी रवैये पर कई
फिल्में बनी हैं। कोरियाई सिनेमा में उन्हें अकसर निर्दयी खलनायक के रूप में चित्रित किया जाता है। इन फिल्मों में द येलो सी और द आउटलॉज प्रमुख हैं।
क्वांगवून यूनिवर्सिटी में नॉर्थईस्ट एशियन कल्चरल इंडस्ट्रीज के प्रोफेसर किम ही-गियो का कहना है कि इसे एक आपराधिक मामले के रूप में देखा जाना चाहिए ना कि ‘जोसोनजोक समस्या’ के रूप में। इस तरह की सोच समाज को नस्लीय पूर्वाग्रह की ओर ले जाने में एक प्रमुख भूमिका निभाती है। जोसोनजोक को चीन में सामाजिक और आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए वह दक्षिण कोरिया का रुख करते हैं। (हि.स.)